राहु का अधिदेवता 'काल' है तथा केतु का अधिदेवता 'सर्प' है। इन दोनों ग्रहों के बीच कुंडली में एक तरफ सभी ग्रह हों तो इसे 'कालसर्प' दोष कहते हैं। राहु-केतु हमेशा वक्री चलते हैं तथा सूर्य चन्द्र मार्गी। मानसागरी ग्रंथ के चौथे अध्याय के 10वें श्लोक में ...
from ज्योतिष https://ift.tt/3ape29Y
Next
« Prev Post
« Prev Post
Previous
Next Post »
Next Post »
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
EmoticonEmoticon