दोनों के मध्य या सम स्थिति सुषुम्ना कहलाती है, यह वायु प्रधान होती है। इन नाड़ियों का नासिका द्वारों द्वारा श्वास लेना स्वर चलना कहलाता है।
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एक अनूठी विद्या है स्वर ध्यान, जानें दैनिक जीवन में कैसे करें इसका प्रयोग एवं महत्व
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