Chaitra Navratri 2021: दस महाविद्याओं में भुवनेश्वरी का विशेष स्थान है। इनके भैरव स्वयं त्र्यम्बक शिव हैं। इनकी आराधना से भक्त परमयोगियों के समान जीवन जीता हुआ संसार पर विजय प्राप्त कर लेता है। वह अपने संकल्प मात्र से ही विश्व की प्रत्येक वस्तु को प्राप्त कर सकता है। इनकी साधना से षट्कर्मों में सफलता मिलती है तथा मृत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्त होता है।
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इनकी पूजा के लिए साधक को अपनी समस्त वासनाओं पर नियंत्रण रखते हुए संयमित जीवन जीना होता है। देवी भुवनेश्वरी की पूजा के लिए लाल रंग का विशेष महत्व है। इनकी आराधना करते समय लाल रंग के वस्त्र पहनने चाहिए और इनकी पूजन सामग्री यथा पुष्प, चंदन, वस्त्र आदि भी लाल वर्ण के ही होने चाहिए।
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पूजा करने के लिए सुबह के समय स्नान आदि से निवृत्त होकर एकांत में आसन पर बैठें। सामने मां भुवनेश्वरी का चित्र अथवा प्रतिमा रखें। लाल पुष्प, धूप, दीपक, चावल, रोली आदि समर्पित करते हुए उनकी आरती करें। इसके बाद उनके महामंत्र "ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं सौ: भुवनेश्वर्ये नम: या ह्रीं" का कम से कम 108 बार जप करें। यदि संभव हो तो इस मंत्र का प्रतिदिन दस माला (अर्थात् एक हजार बार) जप करें। इससे मनोवांछित इच्छा पूर्ण होगी। इसके बाद उन्हें प्रसाद चढ़ाएं एवं स्वयं भी प्रसाद ग्रहण कर दूसरों में बांटें। इस प्रकार देवी भुवनेश्वरी की आराधना करने से विश्व के समस्त सुख प्राप्त होते हैं। व्यक्ति स्वयं ही शिव के समान हो जाता है और उसकी इच्छा पूरी करने के लिए स्वयं प्रकृति अग्रसर रहती है।
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