हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। ऐसे में इस साल यानि 2021 में यह पर्व शुक्रवार, 13 अगस्त को है।
दरअसल हिंदू मान्यताओं के अनुसार नागों को उच्च श्रेणी में माना गया है। धर्म ग्रंथों में नागों का निवास यानि नाग लोक को मृत्यु लोक (जहां हम रहते हैं) से उच्च स्थित माना गया है। वहीं हमारे धर्म ग्रथों में भी नागों व नागलोक के संबंध में कई बातें मिलती हैं, जैसे रावण की पुत्र वधु नागपुत्री थी, जबकि महाभारत में भी के भीम को शक्तिशाली बनाने के संबंध में नागलोक की कथा सामने आती है।
ऐसे में आज हम आपको नागों के एक ऐसे स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां की यात्रा और दर्शन का मौका साल में सिर्फ एक बार ही मिलता है।
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माना जाता है कि मध्यप्रदेश में स्थित एक गुफा से नागलोक को सीधे रास्ता जाता है। और यह जगह मप्र के एकलौते हिल स्टेशन पचमढ़ी के जंगलों में मौजूद है। बताया जाता है कि सतपुडा के घने जंगलों के बीच एक ऐसा रहस्यमयी रास्ता है जो सीधा नागलोक तक जाता है।
लेकिन,गुफा के इस दरवाजे तक पहुंचने के लिए खतरनाक पहाड़ों की चढ़ाई और बारिश में भीगे घने जंगलों से गुजरना पड़ता है। तब जाकर आप उस स्थान (गुफा) यानि नागद्वारी तक पहुंच सकते हैं। ऐसे में कई लोग चाह कर भी इन रास्तों पर नहीं जा पाते।
जानकारों के नुसार नागद्वारी की यात्रा करते समय रास्ते में कई जहरीले सांपों से भी भक्तों का सामान हो जाता है, लेकिन खास बात यह है कि ये सांप भक्तों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। श्रद्धालु सुबह से नाग देवता के दर्शन के लिए निकलते हैं और 12 किमी की इस पैदल पहाड़ी यात्रा को पूरा कर लौटने में भक्तों को दो दिन लगते हैं।
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अमरनाथ यात्रा सा अहसास
नागद्वारी यात्रा के दौरान भक्तों को रास्तों पर अमरनाथ यात्रा का अहसास होता है। यहां के पहाड़ और गुफा का दृश्य देखकर ऐसा लगता है जैसे आप अमरनाथ यात्रा कर रहे हैं। वहीं यात्रा के दौरान तकरीबन हर कदम खतरा बना रहता है। लेकिन भक्तों द्वारा यह यात्रा कई खतरों के बाद भी पूरी की जाती है।
हर साल लगता है मेला
बताया जाता है कि नागद्वारी की यात्रा और दर्शन का मौका साल में सिर्फ एक बार ही मिलता है। यहां सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र होने के कारण रिजर्व फारेस्ट प्रबंधन यहां जाने वाले रास्ते का गेट बंद कर देता है। वहीं हर साल नाग पंचमी पर यहां एक मेला लगता है।
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इस मेले के लिए लाग जान जोखिम में डालकर कई किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे हैं। कई राज्यों के श्रद्धालु नागपंचमी पर्व के 10 दिन पहले से ही यहां आना प्रारंभ कर देते हैं।
कई रूपों में दर्शन देते हैं नागदेव ...
बताया जाता है कि चिंतामणि की गुफा नागद्वारी के अंदर है, जो करीब 32 मीटर लंबी है। इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं। वहीं चिंतामणि गुफा से लगभग आधा किमी की दूरी पर एक गुफा में स्वर्ग द्वार मौजूद है और यहां भी नागदेव की ही मूर्तियां हैं।
भक्त पीढ़ियों से आ रहे हैं यहां
बताया जाता है कि नागद्वारी मंदिर की धार्मिक यात्रा 100 साल से भी पुरानी है। यहां लोग 2-2 पीढ़ियों से नाग देवता के दर्शन करने के लिए मंदिर में आ रहे हैं। माना जाता है कि जो लोग नागद्वार तक पहुंचते हैं, उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
कालसर्प दोष दूर
माना जाता है कि यहां पहाड़ियों पर सर्पाकार पगडंडियों से नागद्वारी की यात्रा करने वाले भक्तों से कालसर्प दोष दूर हो जाता है। वहीं यह भी मान्यता है कि नागद्वारी में गोविंदगिरी पहाड़ी पर मुख्य गुफा में स्थित शिवलिंग में काजल लगाने से हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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