भगवान श्री गणेश जी को सप्ताह के वारों में बुधवार का कारक देव माना जाता है। वहीं ज्योतिष में बुध को बुद्धि का कारक माना गया है। ऐसे में श्री गणेश के पिता भगवान शिव के प्रिय माह सावन में बुधवार का दिन कई मायनों में खास माना जाता है।
मान्यता के अनुसार सावन बुधवार के दिन श्री गणेश जी की पूजा विशेष फलदायी होती है। ऐसे में इस माह के हर बुधवार को श्री गणेश जी की पूजा किए जाने का विधान है, वहीं ये भी माना जाता है कि सावन में भगवान शिव और मां पार्वती की तरह ही श्री गणेश जी भी बहुत आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं।
वहीं ज्योतिष में भगवान श्री गणेश जी को बुद्धि के कारक ग्रह बुध से जोड़कर देखा जाता है। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार श्री गणेश जी की पूजा नवग्रहों को शांत करने का काम करती है। वहीं इसके माध्यम से जातक को सांसारिक व आध्यात्मिक दोनों तरह के लाभ होता है।
श्री गणेश जी को अथर्वशीर्ष में सूर्य और चंद्रमा के रूप में बताया गया है। वहीं इन्हें सूर्य से अधिक तेजस्वी प्रथम वंदनदेव माना गया हैं। सूर्य के विपरीत श्री गणेश जी की रश्मि चंद्रमा के समान शीतल है। और गणेश जी की शांतिपूर्ण प्रकृति का गुण ही चंद्रमा में मौजूद है। साथ ही चंद्रमा भी वक्रतुण्ड में ही समाहित हैं।
श्री गणेश के चमत्कारी नाम:
हिन्दू धर्म के आदि पंचदेवों में श्री गणेश जी भी एक प्रमुख देव हैं। ऐसे में सप्ताह के हर बुधवार के अलावा हर माह की दोनों चतुर्थी (विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी) के दिन गणेश आराधना का विशेष महत्व माना गया है। श्री गणेश जी से जुड़े बुधवार के संबंध में मान्यता है कि इस दिन श्री गणेश जी की आराधना विशेष फल प्रदान करती है।
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वहीं श्री गणेश जी के पौराणिक शास्त्रों में 12 प्रसिद्ध नाम बताए गए हैं, जिनके संबंध में मान्यता है कि इन नामों का जाप करने से हर कष्ट व बाधा का अंत हो जाता है। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि इन नामों को जपने से व्यक्ति का सोया भाग्य भी जाग जाता है।
जानकारों का मानना है कि हर दिन इन नामों का स्मरण करने वाले व्यक्ति के जीवन में परेशानियां नहीं आती है। ऐसे में यदि आप रोज भी ये नाम नहीं भी पढ़ पा रहे हैं तो खास तौर पर बुधवार और हर चतुर्थी के दिन इन नामों का जाप अवश्य करना चाहिए।
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ग्रहों से श्री गणेश जी का संबंध
माना जाता है कि मंगल में उत्साह की उत्पत्ति तक श्री गणेश जी द्वारा ही की गई है। वहीं बुद्धि, विवेक के देवता होने के कारण श्री गणेश बुद्धि के कारक बुध ग्रह के स्वामी होने के साथ ही साथ ही जगत का शुभ व मंगल करने के अलावा साधक को निर्विघ्नता प्रदान करने का कार्य भी विघ्नहर्ता स्वयं ही करते हैं। वहीं ये निर्विघ्नता प्रदान कर बृहस्पति को भी संतुष्ट करते है।
धन, पुत्र, ऐश्वर्य के ग्रह शुक्र होने के बावजूद इन चीजों के स्वामी श्री गणेश जी माने जाते हैं। इसे अलावा कई धार्मिक व पौराणिक कथाओं के अनुसार शनि देव से भी श्री गणेश जी का सीधा नाता है ।
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वहीं इन सभी ग्रहों के अलावा श्री गणेश जी में राहु केतु की तरह भी कुछ स्थितियां मौजूद हैं। इसमें जहां श्री गणेश जी का शरीर भी दो भागों के मिलाप (पुरुष व हाथी) बना है।
वहीं राहु-केतु की स्थिति भी ऐसी ही लेकिन इसके विपरीत अवस्था में है दरअसल गणपति में जहां दो शरीर मिलकर एक हुए हैं वहीं राहु-केतु के एक ही शरीर के दो हिस्से होकर वह दो रूप में हैं।
श्री गणेश जी की भक्ति और मान्यताएं
पुराणों के अनुसार गणेशजी की भक्ति शनि सहित सारे ग्रहदोष दूर करती हैं। वहीं सावन मास में बुधवार के दिन गणेशजी की उपासना जातक के सुख-सौभाग्य में वृद्धि करती है साथ ही समस्त रुकावटों को भी दूर करती है।
गृह कलेश की स्थिति में सावन में बुधवार के दिन दूर्वा के गणेशजी की प्रतिकात्मक प्रतिमा बनाकर उसकी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा सावन में बुधवार के ही दिन श्री गणेश को घी और गुड़ का भोग लगाने के बाद में इस घी व गुड़ गाय को खिला देने से धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।
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