नई दिल्ली। Hell Temple Thailand: हम मनुष्य सामान्यतः मंदिरों में अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु प्रार्थना करने, कीर्तन-सत्संग में शामिल होने, अपनी किसी भूल की क्षमा याचना अथवा दान आदि करने के लिए जाते हैं। मंदिर एक ऐसा स्थान है जहां जाने से सुकून सा मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन समय में वास्तु शास्त्रियों ने पृथ्वी पर ऊर्जा के सकारात्मक केंद्रों ढूंढ कर वहां मंदिरों की स्थापना की। मंदिर जाने को लेकर कई धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि नंगे पैर मंदिर में जाने से उच्च रक्तचाप की समस्या नियंत्रित होती है। ऐसा पैरों में मौजूद एक्यूप्रेशर बिंदुओं पर दबाव पड़ने के कारण होता है।
यूं तो मंदिरों में जाने पर हमारी पीड़ा खत्म होकर सुखद अनुभव होता है। तथा मनुष्य भगवान से मरणोपरांत स्वर्ग में जाने की कामना भी करता है। परंतु क्या आप जानते हैं कि थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में इस दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है जिसे 'नर्क मंदिर' के नाम से जाना जाता है। यह नर्क मंदिर बैंकाक से लगभग 700 किलोमीटर दूर चियांग माइ शहर में बनाया गया है। इस मंदिर को बनाने की प्रेरणा सनातन और बौद्ध धर्म से ली गई है।
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एक बौद्ध भिक्षु 'प्रा क्रू विशानजालिकॉन' को इस देवालय को बनाने का खयाल आया था। इस मंदिर के जरिए वह लोगों को इस बात का ज्ञान कराना चाहते थे कि बुरे कर्म करने वाले तथा पापियों का परिणाम भी बुरा ही होता है। इस मंदिर में लगी मूर्तियों को देखने पर ऐसा आभास होता है मानो हम सच में नर्क में दी जा रही यातनाओं को देख रहे हैं।
इस मंदिर में लोग देवी-देवताओं के दर्शन हेतु नहीं बल्कि यहां बनी हुई नर्क की पीड़ाओं से प्रेरित मूर्तियों को देखने के लिए आते हैं। थाईलैंड के स्थानीय लोगों का यह भी विचार है कि एक बार इस नर्क मंदिर के दर्शन कर लेने मात्र से पापों का प्रायश्चित हो जाता है।
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