दिवाली पर्व को देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए अति विशेष माना जाता है। ऐसे में जहां दिवाली की पूजा का अत्यंत महत्व होता है, वहीं इस दिवाली जहां कुछ विशेष योग दिवाली के महत्व को और अधिक बढ़ा रहे हैं। वहीं इस बार की दिवाली कुछ और कारणों से भी अत्यंत विशेष बन रही है।
इस संबंध में पंडित एके शुक्ला का कहना है कि इस साल 2021 में दिवाली महापर्व पर सूर्योदय के साथ ही चतुर्ग्रही शुभ योग शुरू हो जाएगा, जो कि रात भर रहेगा।
इस बार चार ग्रहों की युति से दिवाली पर बहुत ही शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है। इस शुभ संयोग में लक्ष्मी ,गणेश का पूजन करने पर यह दिवाली जातकों के लिए और भी अधिक संपन्नता प्रदान करने वाली सिद्ध होगी।
दरअसल इस बार दिवाली पर ग्रहों के राजा सूर्य, ग्रहों के राजकुमार बुध, ग्रहों के सेनापति मंगल और मन के कारक चंद्रमा— भाग्य, धन-वैभव व भौतिक सुख के कारक शुक्र के स्वामित्व वाली राशि तुला में रहेंगे, वहीं देवी मां लक्ष्मी भी शुक्र ग्रह की ही कारक देवी हैं। इस तरह से दिवाली पर चतुर्ग्रही योग बन रहा है।
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इन सब के अलावा इस बार एक ओर विशेष योग का निर्माण इस साल हो रहा है। दरअसल सामान्यत: साल भर में केवल शरदपूर्णिमा ही ऐसा दिन है, जब लक्ष्मी जी की पूजा भगवान विष्णु के साथ होती है।
ऐसे में इस बार दिवाली का पर्व बृहस्पतिवार (इस दिन के कारक देव स्वयं भगवान विष्णु हैं) के दिन पड़ रहा है। ऐसे में जहां दिन में भगवान विष्णु की पूजा देवी मां लक्ष्मी को भी प्रसन्न करने का कार्य करेगी। वहीं रात्रि में देवी मां लक्ष्मी की पूजा उन्हें और ज्यादा प्रसन्नता प्रदान करेगी।
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दिवाली 2021 : शुभ मुहूर्त
दीपावली- गुरुवार,04 नवंबर 2021
अमावस्या तिथि शुरु: गुरुवार, 04 नवंबर 2021 को 06:03 AM से
अमावस्या तिथि का समापल: शुक्रवार, 05 नवंबर 2021 को 02:44 AM तक
दीपावली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: गुरुवार, 04 नवंबर 2021 को 06:09 PM से 08:20 PM तक
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इस दिवाली ये करें
पंडित एसके उपाध्याय के अनुसार जहां एक ओर दिवाली इस बार गुरुवार को है, वहीं इस दिन चतुर्ग्रही शुभ योग भी काफी विशेष फल प्रदान करते दिख रहे हैं। ऐसे में दिवाली के दिन यानि 04 नवंबर 2021 को गुरुवार के दिन रात में श्री गणेश व देवी मां लक्ष्मी के अलावा देवी सरस्वती, मां काली, भगवान विष्णु और कुबेर देव की भी विधि विधान से पूजा करनी चाहिए।
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वहीं इस बार दिवाली बृहस्पतिवार को होने के चलते और इस दिन के कारक देव स्वयं श्री हरि विष्णु के होने के कारण इा दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी अत्यधिक महत्व रहेगा। माना जाता है कि भगवान विष्णु की पूजा से भी देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, ऐसे में जहां दिन के समय जहां तक हो सके भगवान विष्णु की पूजा के बाद मन ही मन उनके मंत्रों का जाप करते रहें, वहीं रात्रि में श्रीगणेश व मां लक्ष्मी की पूजा के बाद श्री विष्णु की पूजा भी करनी चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से देवी लक्ष्मी के साथ ही भगवान विष्णु की कृपा भी सदैव बनी रहती है।
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