Solar Eclipse Time : इस बार वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर की सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगा, जो दोपहर 03 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगा। सूर्य ग्रहण आंशिक या उपच्छाया ग्रहण होगा।
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सूतक काल के नियम : इस दिन पानी को छानकर और उसमें तुलसी पत्ता डालकर ही सेवन किया जाता है। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दिन सावधान रहते हुए घर के बाहर नहीं निकलने दिया जाता है। इस दिन सूर्य ग्रहण के बाद घर में सभी ओर जल से शुद्धिकरण किया जाता है। ग्रहण के बाद ही भोजन बनाया और और खाया जाता है। भोजन में तुलसी का पत्ता जरूर मिलाते हैं। इस दिन मंदिर में प्रतिमा का शुद्धिकरण भी किया जाता है। ग्रहण को खुली आंखों से नहीं देखा जाता है।
ये काम नहीं किए जाते हैं :
1. भोजन नहीं करते हैं।
2. मंदिर नहीं जाते हैं। पूजा और स्पर्श निशेध है।
3. खुली आंखों से ग्रहण नहीं देखते हैं।
4. गर्भववती महिलाएं बाहर नहीं जाती है।
5. जल को शुद्ध किए बगैर नहीं पीते हैं।
6. ग्रहण के दौरान सभी तरह के अग्निकर्म नहीं करते हैं, जैसे दाह संस्कार या यज्ञ कर्म।
क्यों नहीं किए जाते हैं कुछ काम :
1. ग्रहण का सूतक काल मान्य हो या नहीं हो परंतु गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और ग्रहण समाप्त हो जाए तब स्नान करके शुद्धि करना चाहिए। ऐसा नहीं करने से शिशु को त्वचा संबंधी परेशानियां आ सकती हैं।
2. ऐसी मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान जल पर इसका असर होता है इसीलिए जल में तुलसी का पत्ता डालकर उसे शुद्ध कर लिया जाए तो सही है।
3. हो सके तो ग्रहण के दौरान भोजन ग्रहण ना करें तो बेहतर है। ग्रहण समाप्त होने के बाद ही भोजन में तुलसी डालकर ही उसे ग्रहण करें। कहते हैं कि ग्रहण के दौरान पाचन शक्ति कमजोर और जठराग्नि मंद पड़ जाती है।
4. कहते हैं कि ग्रहण के दौरान व्यक्ति सुस्त या थका हुआ महसूस करता है। यह भी कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान संवेदनशील या भावुक व्यक्ति और भी भावुक या संवेदनशील हो जाते हैं। यह हमारी भावनाओं पर असर करता है और नकारात्मक भावों को जन्म देता है। अत: इस बात में सावधानी रखें। सकारात्मक भजन या गीत सुनें।
5. ग्रहण खत्म होने के बाद घर की सफाई इसीलिए की जाती है कि यदि कहीं पर ग्रहण का असर हो तो वह समाप्त हो जाए। भले ही इस ग्रहण का सूतककाल मान्य नहीं हो फिर भी घर की साफ सफाई करने में क्या हर्ज है।
6. यह भी मान्यता है कि ग्रहण को खुली आंखों से नहीं देखा जाता अन्यथा आंखों पर इसका रेटिना विपरीत प्रभाव पड़ता है। हालांकि इसकी कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है। परंतु यह भी सही है कि खुली आंखों से ग्रहण अच्छे से दिखाई भी नहीं देता है इसीलिए विशेष प्रकार का काला चश्मा पहनकर ही इसे देखा जाता है।
8. यह भी कहा जाता है कि ग्रहण काल के समय पशु-पक्षियों के व्यवहार में बदलाव आ जाता है।
9. यह भी कहा जाता है कि ग्रहण के समय प्रकृति में भी बदलाव होते हैं। ग्रहण के कारण भी धरती के भीतर भूकंप आता है।
10. यह भी कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान हमारी प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर पड़ता है।
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