1. पानी पर : ऐसी मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान जल पर इसका असर होता है इसीलिए जल में तुलसी का पत्ता डालकर उसे शुद्ध कर लिया जाता है।
2. भोजन पर : यह भी माना जाता है कि भोजन पर भी ग्रहण का असर होता है इसीलिए ग्रहण समाप्त होने के बाद ही भोजन पकाकर खाया जाता है या ग्रहण के दौरान ताजे भोजन में भी तुलसी का पत्ता डालकर उसे खाया जाता है। यह भी कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि इस दौरान पाचन शक्ति कमजोर और जठराग्नि मंद पड़ जाती है।
3. गर्भवती महिला पर : मान्यता है कि ग्रहण का असर गर्भवती पर ज्यादा होता है इसीलिए उन्हें ग्रहण के समाप्त होने के बाद स्नान करने की सलाह दी जाती है। ऐसा नहीं करने से शिशु को त्वचा संबंधी परेशानियां आ सकती हैं।
4. आंखों पर : यह भी मान्यता है कि ग्रहण को खुली आंखों से नहीं देखा जाता अन्यथा आंखों पर इसका रेटिना विपरीत प्रभाव पड़ता है। हालांकि इसकी कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है। परंतु यह भी सही है कि खुली आंखों से ग्रहण अच्छे से दिखाई भी नहीं देता है इसीलिए विशेष प्रकार का काला चश्मा पहनकर ही इसे देखा जाता है।
5. शरीर पर : कहते हैं कि ग्रहण के दौरान व्यक्ति सुस्त या थका हुआ महसूस करता है। यह भी कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान हमारी प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर पड़ता है।
6. मन पर : यह भी कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान संवेदनशील या भावुक व्यक्ति और भी भावुक या संवेदनशील हो जाते हैं। यह हमारी भावनाओं पर असर करता है और नकारात्मक भावों को जन्म देते हैं।
7. प्रकृति पर : यह भी कहा जाता है कि ग्रहण के समय प्रकृति में भी बदलाव होते हैं। ग्रहण के कारण भी धरती के भीतर भूकंप आता है। कहते हैं कि ग्रहण के 40 दिनों पूर्व और 40 दिनों के भीतर धरती पर कहीं पर भी भूकंप आता ही है।
8. पशु-पक्षियों पर : यह भी कहा जाता है कि ग्रहण काल के समय पशु-पक्षियों के व्यवहार में अप्रत्याशित बदलाव आ जाता है। उनकी बेचैनी बढ़ जाती है।
9. समुद्र पर : यह भी कहा जाता है कि ग्रहण का सबसे ज्यादा असर समुद्र पर पड़ता है। इसके चलते जहां समुद्र की लहरों में बदलावा देखा गया है वहीं समुद्र के भीतर भूकंप भी आते हैं।
10. मछलियों पर : समुद्रा या नदियों में मछलियों पर भी ग्रहण का प्रभाव देखा गया है। इस दौरान उनकी बेचैनी बढ़ जाती है और वे सभी सुरक्षित स्थान पर चली जाती हैं।
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