Dhuniwale Dadaji : श्रद्धालुओं की आस्था का मुख्य केंद्र, जहां 90 साल से जल रही है धूनि

भारत के महान संतों में धूनीवाले दादाजी (दादाजी धूनीवाले) की गिनती की जाती है। उनका समाधि स्थल मध्यप्रदेश के खंडवा शहर में है। इस शहर में मौजूद इनका मंदिर लोगों की आस्था का मुख्य केंद्र है। दादाजी धूनीवाले का अपने भक्तों के बीच वही स्थान है जैसा कि शिर्डी के साईं बाबा का।

देशभर से लोग यहां पर दर्शन के लिए पहुंचते हैं। देश-विदेश में दादाजी के असंख्य भक्त हैं। दादाजी के नाम पर भारत और विदेशों में सत्ताईस धाम मौजूद हैं। इन स्थानों पर दादाजी के समय से अब तक निरंतर धूनी जल रही है। मार्गशीर्ष माह में (मार्गशीर्ष सुदी 13) के दिन सन् 1930 में दादाजी ने खंडवा शहर में समाधि ली। यह समाधि रेलवे स्टेशन से 3 किमी की दूरी पर है।

दादाजी धूनीवाले नर्मदा के अनन्य भक्त थे। वह नर्मदा के किनारे ही भ्रमण करते हुए साधना करते थे। अंतिम दिनों में वह खंडवा के इस स्थान पर पहुंचे थे और यहीं समाधिलीन हुए। गुरु पूर्णिमा पर्व पर न केवल मध्य प्रदेश बल्कि देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं।

dada dhuniwale

खंडवा में दादाजी धूनीवाले का आश्रम है, जहां दादाजी ने समाधि ली थी। यह संत हमेशा अपने पास एक धूनी जलाए रखते थे इसलिए इनका नाम दादाजी धूनीवाले हो गया। 1930 से इस आश्रम में एक धूनि लगातार जलती आ रही है। इस धूनि में हवन सामग्री के अलावा नारियल प्रसाद, सूखे मेवे सब कुछ स्वाहा कर दिया जाता है। माना जाता है संत की शक्ति इस धूनी में ही समाई हुई है इसलिए इस धूनि की भभूत लोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।

ऐसे पड़ा नाम धूनी वाले दादाजी
दादाजी (स्वामी केशवानंदजी महाराज) एक बहुत बड़े संत थे और लगातार घूमते रहते थे। प्रतिदिन दादाजी पवित्र अग्नि (धूनी) के समक्ष ध्यानमग्न होकर बैठे रहते थे, इसलिए लोग उन्हें दादाजी धूनीवाले के नाम से स्मरण करने लगे।

दादाजी का जीवन वृत्तांत प्रामाणिक रूप से उपलब्ध नहीं है, परंतु उनकी महिमा का गुणगान करने वाली कई कथाएं प्रचलित हैं। दादाजी का दरबार उनके समाधि स्थल पर बनाया गया है।

Must Read- यहां देवी माता की मूर्ति दिन में तीन बार बदलती है अपना रूप और करतीं हैं चारों धाम की रक्षा

goddess.jpg

बताया जाता है कि राजस्थान के डिडवाना गांव में एक समृद्ध परिवार के सदस्य भंवरलाल दादाजी से मिलने आए। मुलाकात के बाद भंवरलाल ने अपने आपको धूनीवाले दादाजी के चरणों में समर्पित कर दिया। भंवरलाल शांत प्रवृत्ति के थे और दादाजी की सेवा में लगे रहते थे। दादाजी ने उन्हें अपने शिष्य के रूप में स्वीकार किया और उनका नाम हरिहरानंद रखा। हरिहरानंदजी को भक्त छोटे दादाजी नाम से पुकारने लगे।

दादाजी धूनीवाले की समाधि के बाद हरिहरानंदजी को उनका उत्तराधिकारी माना जाता था। हरिहरानंदजी ने बीमारी के बाद सन् 1942 में महानिर्वाण को प्राप्त किया। छोटे दादाजी की समाधि बड़े दादाजी की समाधि के पास स्थापित की गई।

मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के अनेक जिलों से लोग पैदल ही निशान लेकर यहां पहुंचते हैं। कई दिनों का सफर पैदल तय करते हुए यहां पहुंचने वाले लोग मानते हैं कि उनके लिए दादा जी महाराज का स्मरण करना ही पर्याप्त है, और ऐसा करके उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। दादाजी धूनीवाले के भक्त विदेशों तक फैले हैं और बड़ी संख्या में श्रद्धालु गुरु पूर्णिमा पर्व पर यहां शीश नवाने आते हैं।

Must Read- God Special- हनुमान जी का आशीर्वाद पाने के ये हैं खास उपाय, सफलता चूमेगी आपके कदम

hanumanji.jpg

ऐसे से पहुंचे यहां
: सड़क मार्ग- मध्यप्रदेश की राजधान भोपाल से 175 किमी दूर जबकि इंदौर से 135 किमी दूर मौजूद खंडवा के इस स्थान पर आप सड़क मार्ग से बसों के माध्यम से या स्वयं के वाहन से भी पहुंच सकते हैं।

: रेल मार्ग- यहां पहुंचने के लिए खंडवा मध्य एवं पश्चिम रेलवे का एक प्रमुख स्टेशन है और भारत के कई भागों से यहां पहुंचने के लिए ट्रेन उपलब्ध हैं।

: हवाई अड्डा- यहां से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा इंदौर में मौजूद देवी अहिल्या एयरपोर्ट है, जो यहां से 140 किमी की दूरी पर मौजूद है।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/3Gu2IXB
Previous
Next Post »