Lord Shiva Worship
हिन्दू पंचांग की चौदहवीं तिथि को चतुर्दशी (चौदस) कहते हैं। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं। इस दिन शिव जी के साथ गणेश, कार्तिकेय तथा माता पार्वती का पूजन किया जाता है। प्रत्येक मास में दो बार चतुर्दशी तिथि (chaturdashi 2022) आती है।
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार यह तिथि एक पूर्णिमा के बाद और दूसरी अमावस्या के बाद पड़ती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्दशी को कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्दशी को शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी कहते हैं। सुख-शांति की कामना से मासिक शिवरात्रि तथा चतुर्दशी के दिन शिव का पूजन किया जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से शिव की पूजा तथा मंत्र जाप करने से मनुष्य सांसारिक बंधन से मुक्त हो जाता है।
इस वर्ष चैत्र माह में मासिक शिवरात्रि व्रत 30 मार्च को तथा 31 मार्च को चतुर्दशी व्रत रखा जाएगा। चैत्र कृष्ण चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ मार्च 30 को 01.19 पी.एम. से शुरू होकर 31 मार्च को 12.22 पी.एम. पर चतुर्दशी समाप्त होगी।
मासिक शिवरात्रि-चतुर्दशी पूजन विधि-puja vidhi
- मासिक शिवरात्रि तथा चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके भगवान शिव का ध्यान करें तथा व्रत का संकल्प लें।
- पूजन के दौरान शिवलिंग पर जल, दूध, गंगाजल (यदि उपलब्ध हो तो) शकर, घी, शहद और दही अर्पित करके पूजन करें।
- पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा आदि भी चढ़ाएं।
- भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की आरती करें।
- मिठाई का भोग लगाएं।
- शिव के मंत्र- 'ॐ नम: शिवाय'। 'शिवाय नम:'। 'ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ'। आदि का जाप अधिक से अधिक करें।
- शिव-पार्वती की पूजा करने के बाद रात्रि जागरण तथा अगले दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर पूजन करके ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें और पारणा करके व्रत को पूर्ण करें।
Lord Shiva
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