1. 2 अप्रैल को हिन्दू नववर्ष 2079 प्रारंभ हो रहा है। प्रत्येक नववर्ष का एक नाम होता है जो बृहस्पति की गति के अनुसार नियुक्त 60 संवत्सरों में से एक होता है। इस बार नल नामक संवत्सर प्रारंभ हो रहा है।
2. इस संवत्सर के प्रारंभ होने से देश और दुनिया में अग्नि का भय बढ़ जाएगा। मंहगाई से लोग त्रस्त रहेंगे। राजाओं में आपसी वैर-भाव होगा, जिसके चलते युद्ध जैसी स्थिति निर्मित होगी। इस संवत्सर का स्वामी बृहस्पति को माना गया है।
3. कहते हैं कि इस नल नामक संवत्सर में जन्म लेने वाला बालक बुद्धिमान, जल में उत्पन्न पदार्थों के व्यापार में कुशल, धनवान और बहुपालक होता है।
4. ज्योतिष विद्वानों के अनुसार इस वर्ष के राजा शनि एवं मंत्री का अधिकार गुरु को प्राप्त हुआ है। अन्य ग्रहों में सस्येश-सूर्य, दुर्गेश-बुध, धनेश-शनि, रसेश-मंगल, धान्येश-शुक्र, नीरसेश-शनि, फलेश-बुध, मेघेश-बुध रहेंगे। संवत्सर का निवास कुम्हार का घर एवं समय का वाहन घोड़ा है।
5. कहते हैं कि जिस वर्ष समय का वाहन घोड़ा होता है उस वर्ष तेज गति से वायु, चक्रवात, तूफान, भूकंप भूस्खलन आदि की संभावना बढ़ जाती है। मानसिक बैचेनी भी बढ़ जाती है और तेज गति से चलने वाले वाहनों के क्षतिग्रस्त होने की भी संभावना बढ़ जाती है।
6. इस चैत्र माह में 12 से 29 अप्रैल के बीच 17 दिन में राजा, मंत्री सहित चार ग्रह आकाशीय परिषद में अपनी राशि परिवर्तन करेंगे जिससे धरती पर राजनीतिक, व्यापारिक, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कृषि क्षेत्र पर सकारात्मक असर देखने को मिलेगा।
7. इस दौरान राहु अपनी शत्रु राशि मेष को छोड़कर मित्र राशि वृषभ में प्रवेश करेगा। कुछ मत के अनुसार यह उसकी उच्च राशि भी मानी गई है। इसके चलते शुभ फल देखने को मिलेंगे। राहु से संबंधित रोग में राहत मिलेगी। सर्वाइकल या रक्त से संबंधित गंभीर बीमारियों में कमी आएगी। राजनेताओं का चरित्र में सुधार होगा। बिजली से संबंधित कार्य, पेट्रोल, डीजल आदि में विकास होगा। इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया का वर्चस्व बढ़ेगा।
8. गुरु के राशि परिवर्तन के कारण शिक्षा, धर्म, औषधि और राजकाज में तरक्की होगी। देश, समाज के हित में नए कानून की आने की संभावना भी है। जलीय क्षेत्र से संबंधित संस्थानों में प्रगति होगी। अविवाहित लड़कियों के लिए विवाह के योग बनेंगे। गुरु कुंभ में गोचकर करके बलवान हो जाएंगे।
9. शनि के कारण कल-कारखानों में उत्पादन में वृद्धि, कृषि क्षेत्र में भी वृद्धि देखने को मिलेगी। शनि से संबंधित वस्तुएं जैसे कि लोहा, सीमेंट, सरसों, पत्थर, कोयला आदि में मूल्य वृद्धि संभावित है।
10. शनि के राशि परिवर्तन करने से धनु राशि वाले साढ़े साती से मुक्त हो जाएंगे जबकि मिथुन, तुला राशि वालों ढैया से मुक्त हो जाएंगे।
11. केतु के मंगल की राशि वृश्चिक राशि में जाने से केतु के फल मंगल के समान प्राप्त होंगे। इसलिए सेना का वर्चस्व बढ़ेगा, घटना-दुर्घटना, आग और तूफान भी बढ़ेगा। उदर से संबंधित बीमारियों में वृद्धि होगी।
from ज्योतिष https://ift.tt/0We426K
EmoticonEmoticon