सभी प्रदेशों के साथ साथ पूरे देश में इन दिनों नवरात्रि की धूम मची हुई है। जिसके चलते देवी माता के सिद्ध दरबारों से लेकर गली मोहल्लों के मंदिरों तक में माता के भक्त आस्था भाव के साथ पूजन दर्शन करने बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। ऐसेे में आज हम आपको एक ऐसे महाकाली मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपनी निर्माण शैली और प्रतिमा के लिए जाना जाता है।
इस मंदिर की खासियत है कि इसका निर्माण सिद्ध मंत्रों के आधार पर हुआ है। साथ ही ग्रहों व नक्षत्रों को ध्यान में रखते हुए इसका गुंबद बनकर तैयार हो रहा है। मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में मौजूद ये एकमात्र काली यंत्र पर बना महाकाली मंदिर, श्री सिद्ध महाकाली पीठ रैंगवा पाटन रोड पर स्थित है।
पॉजीटिव एनर्जी का रखा गया है विशेष ध्यान :
पुजारी पंडित सुधीर दुबे का कहना है कि माता महाकाली को रौद्र रूप के लिए जाना जाता है, लेकिन इनका पूजन व दर्शन सौम्यता के लिए भी होता है। वहीं इनकी पूजा केवल तंत्र मंत्र से ही नहीं, बल्कि सामान्य ध्यान पूजा से भी होती है। इसलिए यहां इनकी प्रतिमा का मुख उत्तर दिशा में रखा गया है।
सामान्यत: दक्षिणमुखी काली माता के रूप को उग्र माना जाता है। वहीं इस मंदिर का निर्माण काली यंत्र के आधार पर हुआ है, जिसका काम अभी चल रहा है। गुंबद पर काली यंत्र स्थापित किया जा रहा है। जो कि मंदिर के भीतर आने वालों को पॉजीटिव एनर्जी प्रदान करेगा।
यहां मंत्रोच्चारण करने पर उसकी ध्वनि व कंपन को स्वयं महसूस किया जा सकता है। मंदिर की कुल ऊंचाई 57 फीट रहेगी।
शिव पंचायत भी है यहां
पंडित सुधीर दुबे के अनुसार यहां माता के मुख के ठीक सामने शिव पंचायत की भी स्थापना की गई है ताकि महाकाली माता का जो तेज है वह आम श्रद्धालुओं के बजाए महादेव के पास चला जाएगा। क्योंकि इनकी शक्ति को सीधे तौर पर कोई अन्य ग्रहण नहीं कर सकता है। मंत्रों के आधार पर इसका एक एक कोना निर्मित किया गया है।
एक पत्थर पर बनी
पं. सुधीर दुबे ने बताया कि यहां देवी महाकाली की 17 फीट ऊंची प्रतिमा एक ही पत्थर में बनी है। यह महाकाली की प्रतिमा जबलपुर में ही मौजूद गढ़ाफाटक वाली महाकाली की हूबहू प्रतिकृति है। जिनके प्रति अगाध आस्था है। पहली नजर में कोई भी इतनी बड़ी पत्थर की खूबसूरत प्रतिमा देखकर आश्चर्यचकित हो जाता है।
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