महत्व : अक्षया तृतीया की तरह ही इसका महत्व है, क्योंकि इस दिन भी अबूझ मुहर्त रहता है। यानी पूरे दिन ही शुभ मुहूर्त रहता है। विवाह और खरीदी के लिए यह खास दिन माना गया है। इस दिन बिना मुहूर्त देखें ही विवाह की रस्म संपन्न करवाई जा सकती है। इस दिन ही सभी शुभ कार्यों को संपन्न कर लिया जाता है क्योंकि देवशयनी एकादशी के बाद अगले चार महीनों तक कोई भी शुभ मुहूर्त मान्य नहीं होता है।
शुभ मुहूर्त : वैसे तो इस दिन पूरे ही दिन शुभ मुहूर्त रहता है। पूरे समय खरीदारी की जा सकती है। फिर भी जान ले इस दिन के मुहूर्त।
1. अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:36 से 12:30 तक।
2. विजय मुहूर्त : दोपहर 02:19 से 03:14 तक।
3. गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:39 से 07:03 तक।
4. रवियोग : दोपहर 12:14 से अगले दिन सुबह 05:14 तक।
विवाह के लिए अन्य तारीखें : 4, 6, 7, 8 और 9 जुलाई।
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