पंचबलि कर्म : हिन्दू धर्म के अनुसार पहली रोटी अग्नि की, दूसरी रोटी गाय की बनती है। इसके बाद जो भी रोटी बनाई जाती है उसमें से चींटी, कुत्ते और कौवे के लिए भी अलग निकाल दी जाती है। आंतिम रोटी कुत्ते की होती है। पंचबलि में गाय, कुत्ता, चींटी, कौवा और देव (अग्नि आदि) आते हैं। जब भी रोटी बनती है तो उस पर पहला हक अग्निदेव का होता है। अग्नि में उस रोटी को समर्पित करने से सभी देवताओं को भोग लग जाता है। इसके बाद गाय आदि का होता है। इसके बाद बगैर गिने ही सभी सदस्यों के लिए रोटी बनाना चाहिए।
अतिथियों के लिए भी बनाएं रोटी : अतिथि उसे कहते हैं तो बगैर बताए आ जाए। वह कोई भी हो सकता है। पशु, पक्षी या मनुष्य। अतिथि को देवता माना गया है। अत: सभी के भोजन करने के बाद इतनी रोटी तो होना ही चाहिए कि कोई अतिथि खा ले। इसलिए ऐसा माना जाता है कि पकाते समय दो रोटियां ज्यादा रखनी चाहिए। ताकि अगर कोई मेहमान खाना खाते समय आए तो वह भूखा न रहे। इससे मां अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं और उस घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है।
क्यों बनाते हैं गिनकर रोटियां : पहले के समय में सभी लोग संयुक्त परिवार में रहते थे। तब सभी लोग साथ बैठकर भोजन करते थे और तब महिलाएं कभी भी गिनकर रोटी नहीं बनाती थी। रोटी बच जाती थी तो उसे शाम को खा लिया जाता था या घर में मेहमानों का आना जाना लगा रहता था तो सभी की पूर्ति हो जाती थी। लेकिन आजकल एकल परिवार हो चले हैं। ऐसे में हर सदस्य के हिसाब से गिनकर रोटियां बनाई जानें लगी ताकि रोटी बचे नहीं। लेकिन ज्योतिष और वस्तु के अनुसार इसे उचित नहीं माना जाता।
रोटियां गिनकर नहीं बनाएं : वास्तु शास्त्र के अनुसार गिनकर रोटियां बनाना अशुभ माना गया है। इससे जहां सुख-समृद्धि प्रभावित होती है। वहीं माना जाता है कि ग्रह नक्षत्र भी प्रभावित होते हैं और सेहत के लिए यह हानिकारक है। कहते हैं कि गेहूं सूर्य का दाना है। सूर्य के कारण ही व्यक्ति का जीवन प्रभावित हो रहा है। गिनकर बनाने से सूर्य देव का अपमान माना जाता है। इसी तरह दूसरे अनाज, दाल आदि भी किसी न किसी ग्रहों के कारक है।
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