1. आमान्य दान : इस दिन आमान्य दान अर्थात अन्न, घी, गुड़, नमक आदि भोजन का दान करें या मंदिर में सीधा (आटा, दाल, घी, अनाज, शक्कर, मिष्ठान) या पांच तरह के अनाज का दान करें। आप चाहें तो शनि का दान भी कर सकते हैं। जैसे, काले तिल, काली उड़द, काली राई, काले वस्त्र, लौह पात्र, गुड़, तेल, नीलम, कुलथी, भैंस, दक्षिणा और श्याम वस्त्र आदि में से किसी का भी दान करें।
2. छायादान : इस दिन कांसे के कटोरे को सरसों या तिल के तेल से भरकर उसमें अपना चेहरा देखकर कटोरे सहित तेल का दान करें।
3. दीपदान : किसी नदी के तट पर आटे के दीपक बनाकर उसे किसी पत्ते पर रखकर नदी में प्रावाहित करें।
4. पितृ तर्पण : इस दिन नदी के किनारे पितरों की शांति के लिए पिंडदान या तर्पण करें और देव, गाय, कुत्ते, कौवे, चीटिंयों को अन्न अर्पित करें। इसी के साथ गरीब, सफाईकर्मी, दिव्यांग, अंधे और ब्राह्मण को भोजन कराएं या यथाशक्ति दवाई, वस्त्र या अन्न दान कर सकते हैं।
5. पीपल पूजा : इस दिन पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और पीपल की पूजा के साथ ही उसकी परिक्रमा करें।
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