MAHAKAL LOK- धार्मिक स्तर पर महाकाल लोक क्यों है विशेष, ऐसे समझें

उज्जैन को कालों के काल महाकाल शिव का शहर माना गया है। हिंदू ग्रंथों के अनुसार इस प्राचीन और पवित्र शहर राजा महाकाल ही हैं, धार्मिक स्तर पर भी महाकाल लोक की स्थिति बेहद विशेष है इसका कारण ये है कि महाकाल लोक को शिवमहापुराण की तर्ज पर ही बनाया गया है। यहां शिवमहापुराण की कथा को दर्शाने वाले 50 से अधिक भित्ति चित्रों का 1 पैनल 'महाकाल लोक' में विशेष आभास देगा। इसके साथ ही यहां महाकाल लोक में भगवान शिव की लीलाओं पर आधारित 190 मूर्तियां भी नाइट गार्डन में हैं। इसके अतिरिक्त यहां दो भव्य प्रवेश द्वार- नंदी द्वार और पिनाकी द्वार नक्काशीदार बलुआ पत्थरों से बने हैं।

यहां स्थापित 108 स्तंभों पर भगवान शंकर यानि शिव और उनके गण विभिन्न मुद्राओं में हैं। महाकाल लोक परिसर में 8 प्रतिमाएं 18 फीट की हैं। जिनमें नटराज, शिव, गणेश, कार्तिकेय, दत्तात्रेय अवतार, पंचमुखी हनुमान, चंद्रशेखर महादेव की कहानी, शिव और सती, समुद्र मंथन दृश्य शामिल है। साथ ही इन 108 स्तंभों में शिव, शक्ति, कार्तिकेय और गणेश की लीलाओं का वर्णन है।

इसके अतिरिक्त 111 फीट लंबे विशाल कॉरीडोर में संपूर्ण शिव विवाह के वृतांत को प्रदर्शित करते हुए म्यूरल पेंटिंग प्रदर्शित की गई हैं। मंदिर जाने में सुगमता के लिए 900 मीटर लंबा महाकालेश्वर पथ बना है, यहां से भक्त पैदल और वोल्फ कोर्ट से जा सकेंगे। परिसर के अंदर एक सर्व सुरक्षित संकुल का निर्माण भी किया गया है।

शिव अवतार वाटिका में भगवान शिव से जुड़ी कथाएं और विशाल प्रतिमाएं स्थापित की गई है। त्रिपुरारी महाकाल- महाकाल संकुल में भव्य मूर्तिशिल्प स्थापित की गई है। इसमें स्वयं ब्रह्मा जी रथ के सारथी हैं। यह संदेश देती है कि अधर्म पर सदैव ही धर्म की विजय होती है। वहीं, कैलाश पर्वत और रावण साधना को भी दिखाया गया है। इसमें असुरराज रावण ने कठोर तप करके महादेव को प्रसन्न किया था। इस प्रसंग को भी प्रतिमा में दर्शाया गया है। नृत्य करते गजानन को भी दिखाया गया है। मौन साधना करते सप्तऋषि की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं।

महाकाल वन की मौजूदगी- इसके अलावा पुराने हिंदू ग्रंथों में महाकालेश्वर मंदिर के आसपास महाकाल वन की मौजूदगी का भी वर्णन है। ऐसे में यहां कालिदास के अभिज्ञान शकुंतलम में वर्णित बागवानी प्रजातियों को भी गलियारे में लगाया है। इसलिए धार्मिक महत्व वाली लगभग 40-45 ऐसी प्रजातियों का इस्तेमाल किया गया है, जिनमें रुद्राक्ष, बकुल, कदम, बेलपत्र, सप्तपर्णी शामिल हैं।

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इसके अलावा गलियारे में स्तंभों और अन्य संरचनाओं के निर्माण में उपयोग की जाने वाली पुरानी, सौंदर्य वास्तुकला के माध्यम से उस गौरव को फिर से जगाने का प्रयास किया है।

नंदी द्वार और पिनाकी द्वार- यह कॉरिडोर पुरानी रुद्रसागर झील के चारों ओर है, 12 'ज्योतिर्लिंगों' में से एक प्राचीन महाकालेश्वर मंदिर के आसपास पुनर्विकास परियोजना के हिस्से के रूप में भी पुनर्जीवित किया गया है। इसके अलावा यहां बने राजसी द्वार जैसे नंदी द्वार और पिनाकी द्वार, गलियारे के शुरुआती बिंदु के पास बनाए गए हैं, जो प्राचीन मंदिर का प्रवेश द्वार और रास्ते में सौंदर्य के दृश्य प्रस्तुत करते हैं। महाकाल लोक 900 मीटर से अधिक लंबा कॉरिडोर है, यह भारत के सबसे बड़े कॉरिडोर में से एक है।

आज होगा महाकाल लोक का उद्घाटन
मध्यप्रदेश के उज्जैन में जल्द ही 'महाकाल लोक' मंदिर चंद घंटो बाद खुलने वाला है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मंगलवार, 11 अक्टूबर को राजधानी भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित 856 करोड़ रुपये के महाकालेश्वर मंदिर कॉरिडोर विकास परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन करेंगे।

त्रिशूल की तरह स्तंभ
यहां त्रिशूल के डिजाइन के साथ 108 स्तंभ, सीसीटीवी कैमरे और पब्लिस एड्रेस सिस्टम को सामंजस्यपूर्ण रूप से शामिल किया गया है। वहीं जनता के लिए कॉरिडोर खुलने के बाद भीड़ प्रबंधन के लिए घोषणाएं करने और भक्ति गीत बजाने के लिए पब्लिस एड्रेस सिस्टम का उपयोग किया जाएगा।

ये भी हैं यहां की विशेषताएं
: महाकाल लोक में जितनी बिजली खर्च होगी, उसकी 90 फीसदी वहीं बनेगी।
: परिसर में 23 प्रतिमाओं की ऊंचाई 15 फीट हैं। इनमें शिव नृत्य, 11 रुद्र, महेश्वर अवतार, अघोर अवतार, काल भैरव, शरभ अवतार, खंडोबा अवतार, वीरभद्र द्वारा दक्ष वध, शिव बारात, मणि भद्र, गणेश और कार्तिकेय से साथ पार्वती, सूर्य और कपालमोचक शिव शामिल हैं।
: महाकाल लोक में 26 फीट ऊंचा नंदी द्वार मुख्य आकर्षण का केंद्र है।
: महाकाल संकुल को पूर्णता शिवमय सजाया गया है, इसमें कमल कुंड, सप्त ऋषि, मंडल, शिव स्तंभ, मुक्ताकाश रंगमंच का निर्माण प्रमुख है। पुराण प्रसिद्ध रुद्र सागर के तट विकास के साथ त्रिवेणी संग्रहालय का एकीकरण कर चारों ओर हरियाली भरा वातावरण रखा गया है।
: यहां नवग्रह वाटिका में मुक्ताकाश रंगमंच, स्वागत संकुल की दुकानें, त्रिपुरासुर वध, शिवपुराण आधारित भित्ति चित्र दीवार अपनी मनमोहक आभा बिखेर रही हैं। यहां मूर्तियां स्वयं इतिहास की जानकारी देंगी। इसके लिए आपको बारकोड को स्कैन करना होगा।
: धरती पर यहां देवलोक जैसा आभास होगा।
: 25 फीट ऊंची लाल पत्थर की दीवारों पर शिवमहापुराण में उल्लेखित घटनाओं को भित्ति चित्र के रूप में उत्कीर्ण किया है।
: महाकाल लोक परिसर में वैदिक घड़ी भी है।



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