Worship of Gods and Goddesses
हिंदू धर्म (Hindu religion) में विभिन्न फूलों का विशेष महत्व माना गया है। जहां किसी भी धार्मिक अनुष्ठान, पूजन, आरती आदि खास कार्य बिना फूल (Flowers) के अधूरे माने जाते हैं, वहीं फूलों के संबंध में शारदा तिलक नामक पुस्तक में वर्णन मिलता है कि- 'दैवस्य मस्तकं कुर्यात्कुसुमोपहितं सदा' यानी 'देवता का मस्तक सदैव पुष्प से सुशोभित रहना चाहिए।'
वैसे तो किसी भी भगवान को कोई भी पुष्प या फूल चढ़ाया जा सकता है, लेकिन कुछ फूल देवी-देवताओं को विशेष प्रिय होते हैं। इन फूलों का वर्णन विभिन्न धर्मग्रंथों में मिलता है। अत: देवताओं को उनकी पसंद के फूल चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त की हर मनोकामना पूणे करते हैं। आमतौर पर फूलों को हाथों में रखकर हाथों से भगवान को अर्पित किया जाता है। ऐसा नहीं करना चाहिए। फूल चढ़ाने के लिए फूलों को किसी पवित्र पात्र में रखना चाहिए और इसी पात्र में से लेकर देवी-देवताओं को अर्पित करना चाहिए।
आइए जानते हैं किस देवता के पूजन में कौन से रंग का फूल चढ़ाना चाहिए-Favourite Flowers
1. भगवानश्री गणेश- आचार भूषण ग्रंथ के अनुसार भगवान श्रीगणेश को तुलसीदल को छोड़कर सभी प्रकार के फूल चढाएं जा सकते हैं। पद्मपुराण आचाररत्न में भी लिखा है कि ‘न तुलस्या गणाधिपम’ अर्थात् तुलसी से गणेश जी की पूजा कभी न करें। गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा है। गणेश जी को दूर्वा बहुत ही प्रिय है। दूर्वा के ऊपरी हिस्से पर तीन या पांच पत्तियां हों तो बहुत ही उत्तम है।
2. भगवान शिव- भगवान शंकर को धतूरे के फूल, हरसिंगार, व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि के फूल चढ़ाने का विधान है। भगवान शिव को केवड़े का पुष्प नहीं चढ़ाया जाता है।
3. भगवान विष्णु- इन्हें कमल, मौलसिरी, जूही, कदम्ब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वासंती, चंपा, वैजयंती के पुष्प विशेष प्रिय हैं। विष्णु भगवान तुलसी दल चढ़ाने से अति शीघ्र प्रसन्न होते है। कार्तिक मास में भगवान नारायण केतकी के फूलों से पूजा करने से विशेष रूप से प्रसन्न होते है । लेकिन विष्णु जी पर आक, धतूरा, शिरीष, सहजन, सेमल, कचनार और गूलर आदि।
4. सूर्य नारायण- इनकी उपासना कुटज के पुष्पों से की जाती है। इसके अलावा कनेर, कमल, चंपा, पलाश, आक, अशोक आदि के पुष्प भी इन्हें प्रिय हैं।
5. भगवान श्री कृष्ण- अपने प्रिय पुष्पों का उल्लेख महाभारत में युधिष्ठिर से करते हुए श्री कृष्ण कहते हैं- मुझे कुमुद, करवरी, चणक, मालती, पलाश व वनमाला के फूल प्रिय हैं।
6. भगवती गौरी- शंकर भगवान को चढ़ने वाले पुष्प मां भगवती को भी प्रिय हैं। इसके अलावा बेला, सफेद कमल, पलाश, चंपा के फूल भी चढ़ाए जा सकते हैं।
7. लक्ष्मी जी- मां लक्ष्मी का सबसे अधिक प्रिय पुष्प कमल है। उन्हें पीला फूल चढ़ाकर भी प्रसन्न किया जा सकता है। इन्हें लाल गुलाब का फूल भी काफी प्रिय है।
8. हनुमान जी- इनको लाल पुष्प बहुत प्रिय है। इसलिए इन पर लाल गुलाब, लाल गेंदा आदि पुष्प चढ़ाए जा सकते है।
9. मां काली- इनको गुड़हल का फूल बहुत पसंद है। मान्यता है कि इनको 108 लाल गुड़हल के फूल अर्पित करने से मनोकामना पूर्ण होती है।
10. मां दुर्गा- इनको लाल गुलाब या लाल अड़हुल के पुष्प चढ़ाना श्रेष्ठ है।
11. मां सरस्वती- विद्या की देवी मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए सफेद या पीले रंग का फूल चढ़ाए जाते हैं। सफेद गुलाब, सफेद कनेर या फिर पीले गेंदे के फूल से भी मां सरस्वती बहुत प्रसन्न होती हैं।
12. शनि देव- शनि देव को नीले लाजवंती के फूल चढ़ाने चाहिए, इसके अतिरिक्त कोई भी नीले या गहरे रंग के फूल चढ़ाने से शनि देव शीघ्र ही प्रसन्न होते है।
ध्यान रखें ये बातें-
1. शास्त्रों के अनुसार शिवजी को प्रिय बिल्व पत्र छह माह तक बासी नहीं माने जाते हैं। अत: इन्हें जल छिड़क कर पुन: शिवलिंग पर अर्पित किया जा सकता है।
2. कमल का फूल को लेकर मान्यता यह है कि यह फूल दस से पंद्रह दिन तक भी बासी नहीं होता।
3. चंपा की कली के अलावा किसी भी पुष्प की कली देवताओं को अर्पित नहीं की जानी चाहिए।
4. तुलसी के पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है। इसकी पत्तियों पर हर रोज जल छिड़कर पुन: भगवान को अर्पित किया जा सकता है।
5. भगवान की पूजा कभी भी सूखे व बासी फूलों से न करें।
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