भगवान शंकर यानि शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक चीजें अर्पित की जाती हैं, लेकिन कई बार जानकारी के अभाव में हमारे द्वारा कुछ ऐसे चीजें भी उन्हें चढ़ा दी जाती हैं, जिनका कोई महत्व ही नहीं है। या कई बार तो कुछ लोग गलती से ऐसी चीजें भी चढ़ा देते हैं जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर प्रसन्न होने की जगह कुपित हो जाते हैं। ऐसे में भगवान शंकर को अर्पित की जानें वाली वस्तुओं को जानना अति आवश्यक हो जाता है।
दरअसल शिवलिंग पर कई चीजें चढ़ाई जाती हैं, ऐसे में जानकारों के अनुसार इनमें से प्रमुख है दुग्ध, घृत, शहद, दही इत्यादि किन्तु आम तौर पर दो चीजों का महत्त्व बहुत अधिक है। वो हैं बिल्वपत्र (बेलपत्र) और गंगाजल। किन्तु इनके अतिरिक्त कई अन्य चीजों को शिवलिंग को अर्पण करने का विधान पुराणों में बताया गया है। इसका हमें शिवपुराण के एक श्लोक से पता चलता है...
श्लोक:
जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै।
दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।।
मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।
पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात।।
बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।
जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया।।
घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।
तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशय:।।
प्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।
केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषत:।।
शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।
श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च!!
सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह!
पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधि: सर्पिषा तथा।।
जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।
पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेतिछवं तथा।।
महलिंगाभिषेकेन सुप्रीत: शंकरो मुदा।
कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।
अर्थात:
जल से रुद्राभिषेक करने पर वृष्टि होती है। इसके अतिरिक्त ऐसी भी मान्यता है कि जल से अभिषेक करने पर ज्वर भी उतर जाता है।
कुशा जल से अभिषेक करने पर रोग व दु:ख से छुटकारा मिलता है।
दही से अभिषेक करने पर पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।
गन्ने के रस से अभिषेक करने पर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
मधुयुक्त जल से अभिषेक करने पर धनवृद्धि होती है।
तीर्थ जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इत्र मिले जल से अभिषेक करने से रोग नष्ट होते हैं।
दूध से अभिषेक करने से पुत्र प्राप्ति होगी। प्रमेह रोग की शांति तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
गंगा जल से अभिषेक करने पर मनुष्य को भौतिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। विशेषकर श्रावण मास में ज्योतिर्लिंगों पर गंगा जल चढाने का चलन सदियों से चला आ रहा है। श्रावण मास में शिवलिंग पर गंगाजल चढाने पर सहस्त्र गुणा अधिक फल मिलता है।
दूध-शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है और बच्चों का मस्तिष्क तेज होता है।
घी से अभिषेक करने से वंश विस्तार होता है और साथ ही शारीरिक दुर्बलता दूर होती है।
सरसों के तेल से अभिषेक करने से रोग तथा शत्रुओं का नाश होता है।
शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करने से पाप क्षय होते हैं। साथ ही क्षय रोग और मधुमेह की समस्या भी दूर होती है।
इसके अतिरिक्त शिवलिंग पर:-
: शमी के पेड़ के पत्तों को चढ़ाने से सभी तरह के दु:खों से मुक्ति प्राप्त होती है।
: जौ चढ़ाने से लंबे समय से चली रही परेशानी दूर होती है।
: आँक के फूल चढ़ाने से सांसारिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है और उससे भी अधिक मोक्ष की प्राप्ति होती है।
: कच्चे चावल चढ़ाने से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
: तिल चढ़ाने से समस्त पापों का नाश होता है।
: गेहूं चढ़ाने से सुयोग्य पुत्र की प्राप्ति होती है।
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