Paush Month 2022, Date and Vrat / Tyohar list: नवंबर 2022 के दूसरे सप्ताह से शुरु हुआ हिंदू कैलेंडर का नवां माह मार्गशीर्ष आधा हो चुका है। ऐसे में इसके ठीक बाद से हिंदू कैलेंडर का 10वां माह पौष शुरु हो जाएगा। एक ओर जहां मार्गशीर्ष भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। वहीं इसके बाद आने वाले पौष माह में भगवान सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व माना गया है।
ज्ञात हो कि यह मास छोटा पितृ पक्ष के रूप में भी जाना जाता है। इसका कारण यह है कि मान्यता के अनुसार इस मास में पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। तो चलिए जानते हैं पौष का महीना कब से शुरू हो रहा है और इसमें पड़ने वाले व्रत और त्यौहार कौन से हैं।
पौष मास 2022 तिथि और महत्व (Paush Month 2022 Date)
इस 2022 में हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष मास 9 दिसम्बर से शुरू हो रहा है और जिसका समापन 7 जनवरी 2023 को होगा। इस माह में भगवान सूर्य की पूजा को विशेष महत्व वाला माना जाता है। ज्ञात हो कि इस माह में सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करेंगे। जिसके चलते मांगलिक कार्यों पर कुछ समय के लिए रोक लग जाएगी।
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इस माह के संबंध में मान्यता है कि इस दौरान पूर्वजों को पिंडदान करने से उन्हें बैकुंठ की प्राप्ति होती है और पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। यह भी माना जाता है कि जो व्यक्ति इस मास में भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करता है उन्हें तेज, बल, बुद्धि, विद्या, यश और धन की प्राप्ति होती हैं। इस मास में रविवार के दिन उपवास रखने से भी भक्तों को सूर्य देव का विशेष आशीर्वाद मिलता है।
पौष मास 2022 व्रत और त्यौहार सूची (Paush Month 2022 Vrat and Tyohar list)
11 दिसंबर 2022, रविवार: अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत
16 दिसंबर 2022, शुक्रवार: कालाष्टमी व्रत
19 दिसंबर 2022, सोमवार: सफला एकादशी
21 दिसंबर 2022, बुधवार: प्रदोष व्रत
21 दिसंबर 2022, बुधवार: मासिक शिवरात्रि
23 दिसंबर 2022, शुक्रवार: पौष अमावस्या
04 जनवरी 2023, शनिवार: ब्रह्म गौर व्रत
02 जनवरी 2023, सोमवार: पुत्रदा एकादशी
06 जनवरी 2023, शुक्रवार: शाकंभरी देवी जयंती
06 जनवरी 2023, शुक्रवार: पौष पूर्णिमा
दरअसल सूर्य पूजा का महीना पौष मास 9 दिसंबर 2022 से शुरू होना है। जो हिंदू पंचांग के अनुसार 7 जनवरी 2023 तक जारी रहेगा। मान्यता है कि माह में आदित्य ह्रदय स्तोत्र का नियमित पाठ करने से अप्रत्याशित लाभ मिलता है। लंबी उम्र, नौकरी में पदोन्नति, धन प्राप्ति, प्रसन्नता, आत्मविश्वास तथा सभी कार्यों में सफलता मिलती है तथा हर मनोकामना सिद्ध होती है।
यह भी कहा जाता है कि अगर इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से किया जाए तो व्यक्ति को हर तरह के शत्रु से मुक्ति मिल जाती है। इससे चमत्कारी सफलता हासिल होती है।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार “आदित्य हृदय स्तोत्र” अगस्त्य ऋषि द्वारा भगवान् श्री राम को युद्ध में रावण पर विजय प्राप्ति के लिए दिया गया था। आदित्य हृदय स्तोत्र का नित्य पाठ जीवन के अनेक कष्टों का एकमात्र निवारण है।
मान्यता है कि इसके नियमित पाठ से मानसिक कष्ट, हृदय रोग, तनाव, शत्रु कष्ट और असफलताओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है। इस स्तोत्र में सूर्य देव की निष्ठापूर्वक उपासना करते हुए उनसे विजयी मार्ग पर ले जाने का अनुरोध है। आदित्य हृदय स्तोत्र सभी प्रकार के पापों , कष्टों और शत्रुओं से मुक्ति कराने वाला, सर्व कल्याणकारी, आयु, उर्जा और प्रतिष्ठा बढाने वाला अति मंगलकारी विजय स्तोत्र माना जाता है।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/CyjT9aH
EmoticonEmoticon