26 दिसंबर को विनायकी चतुर्थी व्रत के शुभ मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि

Chaturthi Worship 2022
 

26 दिसंबर 2022, दिन सोमवार को पौष मास (Paush Month) में आने वाली साल की आखिरी विनायकी चतुर्थी पड़ रही है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, यह चतुर्थी शुक्ल पक्ष में आती है। इस दिन लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है तथा काले और नीले रंग के कपड़े नहीं पहनना करने चाहिए। विनायक चतुर्थी में चंद्रदर्शन करने की भी मनाही होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विनायकी चतुर्थी को चंद्र दर्शन करने से जीवन में कलंक लगता है। इसलिए इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने से बचना चाहिए। 

 

यहां जानिए शुभ मुहूर्त, मंत्र और पूजन की आसान विधि- 

 

विनायकी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त-Vinayaki Chaturthi Muhurat 2022

 

26 दिसंबर 2022, दिन सोमवार

पौष शुक्ल चतुर्थी का प्रारंभ- 26 दिसंबर को 04:51 ए एम से। 

पौष शुक्ल चतुर्थी का समापन- 17 दिसंबर को 01:37 ए एम पर।

पूजन का शुभ समय- 26 दिसंबर को 11:20 ए एम से 01:24 पी एम

कुल अवधि- 02 घंटे 04 मिनट्स

 

मंत्र-Ganesh Mantra

 

गणेश वंदना मंत्र-गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।

उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।।

- 'ॐ गणेशाय नम:' 

- 'ॐ गं गणपतये नम:।'

- 'ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।'

- 'ॐ वक्रतुण्डाय हुं।'

- 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।'

- सिद्ध लक्ष्मी मनोरहप्रियाय नमः।

- ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये। वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।

 

पूजा विधि-Vinayaki Chaturthi worship 

 

* विनायकी चतुर्थी के दिन व्रतधारी ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें, लाल रंग के वस्त्र धारण करें। 

 

* पूजन के समय अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित शिव-गणेश प्रतिमा स्थापित करें। 

 

* संकल्प के बाद भगवान शिव और श्री गणेश का पूजन करके आरती करें। 

 

* तत्पश्चात अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र चावल आदि चढ़ाएं। 

 

* गणेश मंत्र- 'ॐ गं गणपतयै नम:' बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं। 

 

* अब बूंदी के 21 लड्डुओं और शिव जी को मालपुए का भोग लगाएं। 

 

* पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें। 

 

* ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें। अपनी शक्ति हो तो उपवास करें अथवा शाम के समय खुद भोजन ग्रहण करें। 

 

* सायंकाल में चतुर्थी कथा, स्तुति, सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का स्तवन करें। 

 

* संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करके श्री गणेश की आरती करें। 

 

Ganesh Puja Vidhi

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