महाभारत युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। यह स्वरूप ग्वालियर के सनातन धर्म मन्दिर में विराजमान है। सम्भवत: यह प्रदेश का एकमात्र एवं देश का दूसरा मन्दिर हैं जहां यह छवि विराजमान है।
यह बात आज हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि आज मार्गशीर्ष एकादशी यानि मोक्षदा एकादशी है, जिसे गीता जयंती के रूप में भी जाना जाता है।
दरअसल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष को आने वाली मोक्षदा एकादशी का व्रत 3 दिसंबर शनिवार को रहेगा। वर्षभर में आने वाली 24 एकादशियों में प्रत्येक का अपना महत्व होता है। मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों के अनुसार मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के मुख से श्रीमद्भावगत गीता उपदेश अर्जुन को दिया था। इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है।
इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को कर्मों के बंधन से मुक्ति मिलती है। इस दिन भोजन में चावल का उपयोग नहीं किया जाता है। इस दिन शहर के मंदिरों में कीर्तन के कार्यक्रम होंगे। मोक्षदा एकादशी की तिथि 3 दिसंबर शनिवार सुबह 5.39 बजे से प्रारंभ होगी। जिसकी समाप्ति 4 दिसंबर रविवार को सुबह 5.34 बजे होगी। इस वजह से कुछ लोग ये व्रत 4 दिसंबर रविवार को रखेंगे। इस बार गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी व्रत के दिन रवि योग, प्रजापति योग, रेवती नक्षत्र का खास संयोग बन रहा है।
सनातन धर्म मन्दिर : गीता जयंती के उपलक्ष्य में 3 दिसंबर को ग्वालियर के सनातन धर्म मंदिर में गीता व्याख्यान माला रखी गई है। अध्यक्ष कैलाश मित्तल और प्रधानमंत्री महेश नीखरा ने बताया कि मंदिर के चक्रधर सभागार में शाम 5 बजे भागवत गीता के पूजन, माल्यार्पण, आरती के साथ व्याख्यान माला का शुभारंभ होगा। मुख्य वक्ता आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री और इस्कॉन के आचार्य महेन्द्र प्रभु रहेंगे। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण हरेराम हरेकृष्ण महामंत्र का संगीतमय संकीर्तन, भगवान चक्रधर का विशेष शृंगार और रथ पर विराजमान कृष्ण-अर्जुन की झांकी रहेगी।
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