Kalashtami: पौष माह की कालाष्टमी कब है? ऐसे करें काल भैरव का पूजन

Kalashtami 2022: हिंदू पंचांग का दसवां माह यानि पौष (paush month) शुक्रवार 09 दिसंबर 2022 से शुरु हो गया है। ऐसे में इस माह आने वाले अनेक पर्वों में से एक कालाष्टमी (Kalashtami) का पर्व भी है, जो इस बार शुक्रवार,16 दिसंबर 2022 को मनाया जाएगा। दरअसल हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी (Kalashtami) का पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति कालाष्टमी की पूजा करता है, उसे कालभैरव (kaal bhairav) जी के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार कालभैरव (kaal bhairav) को भगवान शिव का रौद्र रूप माना जाता है। ऐसे में प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी (Kalashtami) पर भगवान शिव के स्वरूप काल भैरव (kaal bhairav) की पूजा की जाती है।

इसके साथ ही कालाष्टमी (Kalashtami) पर्व पर काल भैरव (kaal bhairav)के साथ भगवान शिव की भी पूजा की जाती है। जबकि देश के अनेक क्षेत्रों में इस दिन देवी मां दुर्गा की पूजा का विधान भी है। ज्ञात हो कि कालाष्टमी (Kalashtami)को कालभैरव (kaal bhairav) जयंती या भैरव जयंती के नाम से भी लोग जानते हैं।


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पौष माह की कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami 2022 Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, कालाष्टमी (Kalashtami) को हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। ऐसे में पौष माह (paush month) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भी कालाष्टमी (Kalashtami) पर्व मनाया जाएगा। कालाष्टमी (Kalashtami) की शुरुआत शुक्रवार, 16 दिसंबर 2022 को सुबह 01 बजकर 39 मिनट पर होगी और जबकि इसका समापन 17 दिसंबर को सुबह 03 बजकर 02 मिनट पर होगा। वहीं उदयातिथि होने के चलते कालाष्टमी (Kalashtami) पर्व 16 दिसंबर को ही मनाया जाएगा।

 

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कालाष्टमी पूजन विधि (Kalashtami 2022 Pujan Vidhi)
कालाष्टमी (Kalashtami) की पूजन विधि के तहत हर बार की तरह इस पौष माह (paush month) के दौरान भी सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के पश्चात साफ कपड़े धारण करने चाहिए। इसके पश्चात भैरव देव की पूजा करनी चाहिए। कालाष्टमी (Kalashtami) के दिन भैरव (kaal bhairav) देव के साथ उनके वाहन काले कुत्ते की भी पूजा का विधान बताया जाता है।

 

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यहां ध्यान रहे कि ये माना जाता है कि पूजा के बाद काल भैरव की कथा सुनने से भी लाभ प्राप्त होता है। इस दिन मुख्यरूप से काल भैरव (kaal bhairav) के मंत्र "ऊं काल भैरवाय नमः" का जाप करना विशेष फलदायी माना गया है। इसके साथ ही इस दिन गरीबों को अन्न और वस्त्र दान करने से भी विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। ध्यान रहे कि कालाष्टमी (Kalashtami) के दिन मंदिर में जाकर कालभैरव(kaal bhairav) के सामने तेल का एक दीपक ज़रूर जलाना चाहिए।

 

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कालाष्टमी पर गलती से भी न करें ये काम (Kalashtami 2022 Dos and Donts)

1. काल भैरव(kaal bhairav) जयंती या कालाष्टमी (Kalashtami) के दिन झूठ न बोलें। माना जाता है कि इस दिन झूठ बोलने से आपको भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
2. काल भैरव(kaal bhairav) की पूजा कभी भी किसी के नुकसान के मकसद से नहीं करनी चाहिए।
3. भूलकर भी माता-पिता और गुरुओं को अपमानित नहीं करना चाहिए।
4. कभी भी काल भैरव(kaal bhairav) की पूजा अकेले नहीं करनी चाहिए, यानि इस दिन पूजा में भगवान शिव और माता पार्वती को अवश्य शामिल करना चाहिए।
6. भगवान भैरव(kaal bhairav) के तामसिक रूप की पूजा गृहस्थ लोगों को नहीं करनी चाहिए।
7. इस दिन भूलकर भी श्वानों पर अत्याचार न करें, बल्कि जहां तक हो सके इस दिन उन्हें भोजन कराएं।

 

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ऐसे समझें कालाष्टमी का महत्व (Kalashtami 2022 Significance)
काल-भैरव (kaal bhairav) को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है, ऐसे में मान्यता है कि जो कोई भी कालाष्टमी (Kalashtami) के दिन सच्चे मन व पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से कालभैरव (kaal bhairav) की पूजा करता है,उसे भगवान शिव सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

श्री भैरव जी की आरती...
सुनो जी भैरव लाडले, कर जोड़ कर विनती करूं।
कृपा तुम्हारी चाहिए , में ध्यान तुम्हारा ही धरूं।।

मैं चरण छूता आपके, अर्जी मेरी सुन सुन लीजिए।
मैं हूँ मति का मंद, मेरी कुछ मदद तो कीजिए।।
महिमा तुम्हारी बहुत, कुछ थोड़ी सी मैं वर्णन करूं।
सुनो जी भैरव लाडले...

करते सवारी श्वानकी, चारों दिशा में राज्य है।
जितने भूत और प्रेत, सबके आप ही सरताज हैं ।।
हथियार है जो आपके, उनका क्या वर्णन करूं।
सुनो जी भैरव लाडले...

माताजी के सामने तुम, नृत्य भी करते हो सदा।
गा गा के गुण अनुवाद से, उनको रिझाते हो सदा।।
एक सांकली है आपकी तारीफ़ उसकी क्या करूँ।
सुनो जी भैरव लाडले...

बहुत सी महिमा तुम्हारी, मेहंदीपुर सरनाम है।
आते जगत के यात्री बजरंग का स्थान है।।
श्री प्रेतराज सरकारके, मैं शीश चरणों मैं धरूं।
सुनो जी भैरव लाडले...
निशदिन तुम्हारे खेल से, माताजी खुश होती रहें।
सर पर तुम्हारे हाथ रखकर आशीर्वाद देती रहे।।

कर जोड़ कर विनती करूं अरुशीश चरणों में धरूं।
सुनो जी भैरव लाड़ले, कर जोड़ कर विनती करूं।।

आरती श्री भैरव बाबा की...

जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।

तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।

वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।

तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।

पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।

बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।



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