बगलामुखी महाविद्याः धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता आदि शक्ति के नौ स्वरूप और दस महाविद्या हैं। इन दस महाविद्या में ही आठवीं माता बगलामुखी हैं। माता बगलामुखी की साधना युद्ध में विजय और शत्रुओं के नाश के लिए किया जाता है। माता को पीला रंग प्रिय है। इसलिए इन्हें पीतांबरा भी कहा जाता है। इनकी साधना शत्रु भय से मुक्ति, वाद विवाद में विजय और वाक सिद्धि के लिए किया जाता है। इसी के साथ भक्त हर बाधा से दूर होता है। जीवन में सुख शांति रहती है और घर धन धान्य से भरा रहता है।
माता बगलामुखी की कृपा से साधक को भोग और मोक्ष दोनों प्राप्त होता है। वे चाहें तो शत्रु की जिह्वा ले सकती हैं और भक्त की वाणी को दिव्यता का आशीष दे सकती हैं। माता वचन और बोलचाल की गलतियों और अशुद्धियों को निकालकर सही करती हैं। मान्यता है कि महाभारत से पूर्व नलखेड़ा में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन ने माता बगलामुखी की पूजा की थी।
बगलामुखी की पूजा विधि
1. सुबह स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करें और पूजा शुरू करें
2. पूजा में मुंह पूर्व दिशा में रखें, कोशिश करें लोग ज्यादा से ज्यादा पीले रंग का इस्तेमाल करें
3. मां का आसन पीला रखें, पीला वस्त्र पहनाएं, पीले फल चढ़ाएं
4. पूजा के बाद यथाशक्ति दान करें
5. जो लोग व्रत रख रहे हैं, वो रात में फलाहार करें
6. इसके बाद अगले दिन स्नान कर पूजा के बाद आप भोजन ग्रहण कर सकते हैं
कहां हैं माता के प्रमुख मंदिर
भारत में माता बगलामुखी के तीन प्रमुख मंदिर बताए जाते हैं। दतिया (मध्य प्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश), नलखेड़ा (शाजापुर, मध्य प्रदेश)। इन तीनों जगहों पर शैव और शाक्त साधु संत अनुष्ठान और तंत्र साधना के लिए आते रहते हैं।
माता बगलामुखी के शक्तिशाली मंत्र
1. ऊँ ह्रीं बगलामुखी देव्यै ह्रीं ऊँ नमः
2. ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलम बुद्धिं विनाशाय ह्रीं ऊं स्वाहा
(बगलामुखी माता की पूजा के मंत्र को नियम अनुसार जपना चाहिए, इसके लिए बगलामुखी माता की पूजा के जानकार से सलाह लेकर ही इन मंत्रों का जाप करना चाहिए)
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