Som pradosh 2023: कब रखा जाएगा सोम प्रदोष का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, लाभ और व्रत कथा

 

som pradosh 2023 : इस बार सोम प्रदोष व्रत 28 अगस्त 2023, दिन सोमवार (Monday) को रखा जा रहा है। यह श्रावण मास का अंतिम प्रदोष व्रत और रक्षा बंधन के पूर्व का आखिरी सावन सोमवार हैं, जो श्रावण पूर्णिमा के पूर्व पड़ रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस बार प्रदोष व्रत श्रावण सोमवार के दिन होने के कारण इसका महत्व अधिक बढ़ गया है। मान्यता के अनुसार इस दिन शिव-पार्वती का पूजन किया जाएगा।

 

आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत की तिथि, लाभ और कथा के बारे में- 

 

सोम प्रदोष व्रत 28 अगस्त 2023, सोमवार : पूजन के शुभ मुहूर्त-

 

सर्वार्थ सिद्धि योग- 29 अगस्त को 02.43 ए एम से 05.57 ए एम तक।

रवि योग- 29 अगस्त को 02.43 ए एम से 05.57 ए एम तक। 

 

28 अगस्त, सोमवार : दिन का चौघड़िया

अमृत- 05.57 ए एम से 07.33 ए एम

शुभ- 09.10 ए एम से 10.46 ए एम

चर- 01.59 पी एम से 03.35 पी एम

लाभ- 03.35 पी एम से 05.11 पी एम

अमृत- 05.11 पी एम से 06.48 पी एम

 

रात का चौघड़िया

चर- 06.48 पी एम से 08.11 पी एम,

लाभ- 10.59 पी एम से 29 अगस्त को 12.22 ए एम, 

शुभ- 01.46 ए एम से 29 अगस्त को 03.10 ए एम, 

अमृत- 03.10 ए एम से 29 अगस्त को 04.34 ए एम, 

चर- 04.34 ए एम से 29 अगस्त को 05.57 ए एम तक। 

 

इस बार श्रावण शुक्ल त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ- 28 अगस्त को 06.22 पी एम से, 

तिथि का समापन- 29 अगस्त को 02.47 पी एम पर होगा। 

 

त्रयोदशी पर प्रदोष पूजन का शुभ समय- 

28 अगस्त 2023 को 06.48 पी एम से 09.02 पी एम तक। 

कुल अवधि- 02 घंटे 14 मिनट्स तक। 

 

अन्य मुहूर्त :

ब्रह्म मुहूर्त- 04.28 ए एम से 05.12 ए एम 

प्रातः सन्ध्या- 04.50 ए एम से 05.57 ए एम

अभिजित मुहूर्त- 11.57 ए एम से 12.48 पी एम 

विजय मुहूर्त- 02.31 पी एम से 03.22 पी एम

गोधूलि मुहूर्त- 06.48 पी एम से 07.10 पी एम

सायाह्न सन्ध्या- 06.48 पी एम से 07.55 पी एम

अमृत काल मुहूर्त- 09.00 पी एम से 10.25 पी एम 

निशिता मुहूर्त- 29 अगस्त को 12.00 ए एम से 12.45 ए एम तक।

 

सोम प्रदोष व्रत कथा : Som Pradosh Katha

 

सोम प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई आश्रयदाता नहीं था इसलिए प्रात: होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। भिक्षाटन से ही वह स्वयं व पुत्र का पेट पालती थी। 

 

एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था, इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। 

राजकुमार ब्राह्मण पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा। एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार भा गया। 

 

कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। उन्होंने वैसा ही किया। ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करती थी। उसके व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के राज्य को पुन: प्राप्त कर आनंदपूर्वक रहने लगा।

 

राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के महात्म्य से जिस तरह राजकुमार और ब्राह्मण-पुत्र के का जीवन खुशहाल हो गया वैसे ही सभी पर शिव जी की कृपा प्राप्त होती है। अत: सोम प्रदोष व्रत के दिन यह कथा पढ़ने अथवा सुनने का विशेष महत्व है।

 

प्रदोष व्रत के लाभ- 

 

- प्रदोष व्रत परम कल्याणकारी है, अत: सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति, अन्न-धान्य से घर भरा रहता है।  

- सावन प्रदोष के दिन मात्र फलाहार करने से चंद्र दोष दूर होकर बुरे प्रभाव नष्‍ट होते हैं।

- इस व्रत से जीवन से नकारात्मकता दूर होती है। 

- यह व्रत करने से जीवन में हमेशा धन, सुख-समृद्धि बनी रहती है। और शत्रु का विनाश और सभी संकट दूर हो जाते हैं।

- सावन मास का प्रदोष व्रत करने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। 

- यह व्रत शत्रु तथा ग्रह बाधा को दूर करने तथा ग्रहों की शांति करके जीवन में शुभ फल देता है।  

- प्रदोष व्रत में भगवान शिव का परिवार सहित पूजन करने से भाग्य जागृत होता है

- प्रदोष व्रत से पितरों का आशीर्वाद मिलता है।

- आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है। 

 

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