श्रीहरि विष्णु जी को क्यों कहते हैं भगवान अनंत?
- चतुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर शयन करते हैं।
- भगवान शेषानाग का एक नाम अनंत भी है। इसीलिए श्रीहरि को अनंत भी कहते हैं।
- विष्णुजी के वामन अवतार को ही भगवान अनंत कहते हैं।
- अनंत भगवान ने ही वामन अवतार में दो पग में ही तीनों लोकों को नाप लिया था।
- इनके न तो आदि का पता है न अंत का इसलिए भी यह अनंत कहलाते हैं।
- अत: इनके पूजन से आपके सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे।
कैसे करें भगवान अनंत की पूजा?
- प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेकर पूजा स्थल पर भगवान अनंत की मूर्ति या चित्र एवं कलश स्थापित करें।
- कलश पर अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करें।
- पश्चात एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र तैयार करें, इसमें चौदह गांठें लगी होनी चाहिए। इसे पूजा स्थल पर रख दें।
- अब भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू करें। नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें।
- इसके बाद विधिवत आरती करें और प्रसाद वितरण करें। ध्यान रखें की प्रसाद उपवास वाला हो।
- इस व्रत में भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा के बाद बाजू पर अनंत सूत्र बांधा जाता है।
मंत्र
अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना से यह व्रत किया जाता है।
इस तरह बांधे अनंत सूत्र :-
- भगवान कृष्ण युधिष्ठिर से कहते हैं कि भाद्रपद की शुक्ल चतुर्दशी को कच्चे धागे में 14 गांठ लगाकर उसे कच्चे दूध में डूबोकर ॐ अनंताय नम: का मंत्र जपते हुए भगवान विष्णु की विधिवत रूप से पूजा करना चाहिए।
- कच्चे धागे से बने 14 गांठ वाले धागे को बाजू में बांधने से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है।
- इस अनंत सूत्र को पुरुषों को दाएं और महिलाओं को बाएं बाजू में बांधना चाहिए।
- आजकल बाजार में बने बनाएं अनंत सूत्र मिलते हैं जिनकी विधिवत पूजा करके बांधा जाता है।
- अनंत सूत्र (शुद्ध रेशम या कपास के सूत के धागे) को हल्दी में भिगोकर 14 गांठ लगाकर तैयार किया जाता है।
- इसे हाथ या गले में ध्यान करते हुए धारण किया जाता है।
- हर गांठ में श्री नारायण के विभिन्न नामों से पूजा की जाती है।
- पहले में अनंत, श्री अनंत भगवान का पहले में अनंत, उसके बाद ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द की पूजा होती है।
from ज्योतिष https://ift.tt/1m9Gl3Y
EmoticonEmoticon