कितनी बार होती है पूजा?
- इस व्रत में कम से कम 5 बार पूजा की जाती है।
- हरतालिका व्रत की पूजा रात्रि के चार प्रहर और दिन के पहले प्रहर में करने का विधान है।
- यह भी नियम है कि 5 पूजा में से 3 पूजा तीज के दिन कभी भी कर सकते हो।
- आखिरी पूजा चतुर्थी के दिन पारण पूजा होती है, जिसे परायण भी कहते हैं।
किस समय करते हैं पूजा?
- पहली पूजा : दिन में 06:07 से 08:34 के बीच या 11 से 12 के बीच।
- दूसरी पूजा : शाम 06:23 से 08:44 के बीच।
- तीसरी पूजा : रात 11 से 12 बजे के बीच।
- चौथी पूजा : रात 02 से 03 बजे के बीच।
- पांचवीं पूजा : सुबह 05 बजे या ब्रह्म मुहूर्त में।
रात्रि का चौघड़िया :
- इस दिन प्रदोष काल पूजा के लिए पहला मुहूर्त शाम 06.23 बजे से शाम 06.47 बजे तक का है।
- लाभ- 06.57 पी एम से 08.19 पी एम
- शुभ- 09.41 पी एम से 11.03 पी एम
- अमृत- 11.03 पी एम से 20 अगस्त को 12.25 ए एम तक।
- चर- 12.25 ए एम से 20 अगस्त को 01.47 ए एम तक।
- लाभ- 04.31 ए एम से 20 अगस्त को 05.53 ए एम तक।
कैसे करते हैं पूजा?
- पूजा के दौरान बालू में मिट्टी मिलाकर शिवलिंग बनाते हैं।
- शिवलिंग के साथ ही गौरी और गणेशजी की पूजा भी होती है।
क्या है व्रत के नियम?
- यह व्रत बहुत कठिन होता है।
- इस व्रत को एक बार रखा जाता है तो जीवन भर रखना होता है।
- सिर्फ रोग या शोक में इसे उस साल छोड़ सकते हैं।
- व्रत में किसी भी प्रकार से अन्न या जल ग्रहण नहीं करते हैं।
- व्रत के दौरान जब तक पारण नहीं हो जाता तप तक सोते नहीं हैं।
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