महाशिवरात्रि की प्रामाणिक व्रत विधि जानिए

Mahashivratri puja 
 

HIGHLIGHTS

 

• महाशिवरात्रि कब है 2024 में।

• महाशिवरात्रि का महत्व और पूजा विधि।

• यहां पढ़ें श्री महाशिवरात्रि व्रत की पूजन विधि।


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Mahashivratri puja: इस बार 8 मार्च 2024, दिन शुक्रवार को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जा रहा है। महाशिवरात्रि व्रत के देवता भगवान शिव हैं। यह दिन शिव जी के पूजन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन भोलेनाथ की उपासना करने से जीवन में चमत्कारिक परिणाम मिलते हैं। 

 

यहां आपके लिए प्रस्तुत हैं महाशिवरात्रि व्रत की प्रामाणिक पूजन विधि...

 

पूजा सामग्री : सुगंधित पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा, भाँग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, पंच फल पंच मेवा, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, शिव व माँ पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, वस्त्राभूषण रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन आदि।


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पूजा विधि : 

- महाशिवरात्रि की पूजन की विधि के अनुसार शिवरात्रि से एक दिन पूर्व त्रयोदशी तिथि में शिव जी की पूजा करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। 

- इसके उपरांत चतुर्दशी तिथि को निराहार रहना चाहिए। 

- महाशिवरात्रि वाले दिन नित्य दैनिक क्रिया निवृत्ति के वाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

- महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को गंगाजल चढ़ाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।

- इस दिन भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराएं।

- फिर व्रत व पूजा का मंत्र 'ॐ नमः शिवायः' से शिव जी की पूजा करनी चाहिए। 

- बिल्वपत्र अर्पित करते समय निम्न मंत्र बोले- 

 

* नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च

नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे।।

 

दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम्‌ पापनाशनम्‌। अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌।।

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌।।

अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्‌। कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌।।

गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर। सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय।

 

- मृग व शिकारी की कथा तथा शिव लिंग के प्रकट होने की कथा तथा शिव पुराण की कथाओं का वाचन करें। 

- इसके बाद रात्रि के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा करनी चाहिए।

- अगले दिन प्रातःकाल ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए।

- महाशिवरात्रि व्रत के दिन प्रातःकाल से रात्रि के चार प्रहर तक शिव जी का पूजन किया जाता है।

- इस दिन पूजन हवन, शिव अभिषेक, ब्रह्मचर्य का पालन श्रद्धा और भक्तिपूर्वक करना चाहिए। 

 

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Mahashivratri puja muhurat 2024




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