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1. शमी की पूजा : शमी के पेड़ को साक्षात शनिदेव माना जाता है। यह पेड़ शनि ग्रह का कारक है। शनि जयंती पर इसकी विधिवत पूजा करके इस पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इससे शनि दोष से मुक्ति मिलती है। जिस व्यक्ति को शनि से संबंधित बाधा दूर करना हो उसे शमी का वृक्ष लगाना चाहिए। इस वृक्ष के पूजन से शनि प्रकोप शांत हो जाता है क्योंकि यह वृक्ष शनिदेव का साक्षात्त रूप माना जाता है।
प्रदोषकाल में शमी वृक्ष के समीप जाकर पहले उसे प्रणाम करें फिर उसकी जड़ में शुद्ध जल अर्पित करें। इसके बाद वृक्ष के सम्मुख दीपक प्रज्वलित कर उसकी विधिवत रूप से पूजा करें। शमी पूजा के कई महत्वपूर्ण मंत्र का प्रयोग भी करें। इससे सभी तरह का संकट मिटकर सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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2. छाया दान : शनिदेव की शाम को मंदिर में जाकर छायादान करें। एक कटोरी में सरसो का तेल लें और उसमें अपना चेहरा देखें। इसके बाद उस कटोरी को शनिदेव के चरणों में रख दें।
3. अन्न दान : किसी गरीब, अपंग, अंधे, कुष्ट रोगी, मेहतर, मजदूर, विधवा, कौवों, मछलियों आदि को भरपेट भोजन कराएं और उन्हें दान दक्षिणा भी दें। इससे शनिदेव बहुत ज्यादा प्रसन्न होकर जातक को आशीर्वाद देते हैं। शनि से संबंधित वस्तुओं का मंदिर में दान करें।
4. हनुमान चालीसा : इस दिन 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमानजी के भक्तों पर कभी भी शनिदेव बुरी नजर नहीं डालते हैं।
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5. भैरव पूजा : अमावस्या या शनिवार के दिन भैरव महाराज को कच्चा दूध या शराब अर्पित करने से शनि दोष समाप्त हो जाते हैं।
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