Apara Ekadashi 2024: अपरा एकादशी व्रत करने की विधि, फायदे और शुभ मुहूर्त

importance Apara Ekadashi

Apara Ekadashi 2024

Apara Ekadashi vrat vidhi: वर्ष 2024 में अपरा एकादशी व्रत 2 तथा 3 जून को रखा जाएगा। पहले दिन स्मार्त और दूसरे दिन वैष्णव व्रत रखेंगे। यदि आप भी अपरा एकादशी का व्रत रखने जा रहे हैं जो जान लें उसकी विधि। क्योंकि विधिपूर्वक व्रत रखने से ही व्रत का लाभ मिलेगा।

 

एकादशी तिथि प्रारम्भ- 02 जून 2024 को सुबह 05:04 से प्रारंभ

एकादशी तिथि समाप्त- 03 जून 2024 को रात्रि 02:41 बजे समाप्त।

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कैसे रखें व्रत : 

अपरा एकादशी के दिन यदि एक समय का उपवास रख रहे हैं तो दूसरे समय शुद्ध सा‍त्विक भोजन कर सकते हैं। नहीं तो आप मोरधन की खिचड़ी खाकर भी यह एकादशी कर सकते हैं।

 

अपरा एकादशी का व्रत कैसे करें | How to fast on Apara Ekadashi?

  • एकादशी तिथि के प्रारंभ होने से पूर्व ही दशमी से व्रत का प्रारंभ हो जाता है।
  • सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद साफ वस्‍त्र पहनें और एकादशी व्रत का संकल्‍प करें।
  • तत्पश्चात पूजन से पहले घर के मंदिर में एक वेदी बनाए उस पर सात तरह के धान यानी उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा रखें।
  • उस वेदी पर कलश की स्‍थापना करें, उस पर आम के या अशोक वृक्ष के 5 पत्ते लगाएं।
  • अब भगवान विष्‍णु की मूर्ति या तस्‍वीर रखें और भगवान विष्‍णु को पीले पुष्प, ऋतु फल और तुलसी दल चढ़ाएं।
  • फिर धूप-दीप से आरती करें।
  • शाम को भगवान विष्‍णु की आरती करके फलाहार ग्रहण करें।
  • रात्रि के समय भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।
  • अगले दिन सुबह ब्राह्मण को भोजन कराएं और इच्छानुसार दान-दक्षिणा देकर तत्पश्चात व्रत का पारण करें।

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अपरा एकादशी व्रत रखने के फायदे:

1. अपरा एकादशी व्रत से मनुष्य को अपार पुण्य और खुशियों की प्राप्ति होती है।

 

2. अपरा एकादशी व्रत रखने से मनुष्य ब्रह्म हत्या, परनिंदा और प्रेत योनि जैसे समस्त पापों से मुक्ति पाता है।

 

3. एकादशी का व्रत रखने से मानसिक शांति मिलती है।

 

4. अपरा का अर्थ होता है अपार, इसीलिए इस दिन व्रत करने से अपार धन-दौलत की प्राप्ति होती है।

 

5. इस एकादशी का विधिवत व्रत रखने से मनुष्य संसार में प्रसिद्ध हो जाता है।

 

6. धार्मिक मान्यता के अनुसार जो फल गंगा नदी के तट पर पितरों को पिंडदान करने, कुंभ में केदारनाथ के दर्शन या फिर बद्रीनाथ के दर्शन, सूर्यग्रहण में स्वर्णदान करने से मिलता होता है, वही फल अपरा एकादशी का व्रत करने से भी प्राप्त होता है।

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