vat savitri vrat
Vat Savitri Vrat 2024: प्रतिवर्ष वट सावित्री का व्रत दो बार किया जाता है, पहले ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी से अमावस्या तक और दूसरा ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी से पूर्णिमा तक। दोनों की ही पूजा विधि समान हैं। इस व्रत में सुबह जल्दी उठकर प्रात: काल को वटवृक्ष की पूजा करते हैं। 6 जून 2024 को ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा जबकि 21 जून को वट पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा।ALSO READ: Vat Savitri vrat : वट सावित्री व्रत में क्यों करते हैं बरगद की पूजा
6 जून का प्रात: काल मुहूर्त:
अमावस्या तिथि प्रारम्भ- 05 जून 2024 को शाम 07:54 से
अमावस्या तिथि समाप्त- 06 जून 2024 को शाम 06:07 तक
ब्रह्म मुहूर्त : प्रात: 04:02 से 04:42 तक।
प्रातः सन्ध्या पूजा और आरती मुहूर्त: प्रात: 04:22 से 05:23 तक।
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21 जून प्रात: काल मुहूर्त:
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 21 जून 2024 को सुबह 07:31 से
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 22 जून 2024 को सुबह 06:37 तक
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:04 से 04:44 तक।
प्रातः सन्ध्या पूजा और आरती मुहूर्त: प्रात: 04:24 से 05:24 तक
क्यों करते हैं यह व्रत : हिंदू धर्म में दोनों ही व्रतों को महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए करती हैं। हिन्दू धर्म में यह व्रत अखंड सौभाग्य का वरदान देने वाला माना गया है। इसीलिए सौभाग्यवती स्त्रियों का यह महत्वपूर्ण व्रत है। आओ जानते हैं वट सावित्री व्रत की पूजा विधि।
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क्या है कथा : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सावित्री ने मृत्यु के देवता भगवान यमराज को अपनी बातों से और सत्यता से उन्होंने अपने पति सत्यवान के प्राण को पुन: लौटाने पर विवश किया था। बाद में सावित्री को शिव पार्वती ने वरदान दिया था। इसी घटना की याद में विवाहित महिलाएं अपने पति की सकुशलता एवं दीर्घायु की कामना से वट सावित्री व्रत का पालन करती हैं।
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