23 जुलाई देवशयनी एकादशी, व्रत के साथ करें ये उपाय धन-धान्य से भर जाएगी झोली

आषाढ़ शुक्ल एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस साल आषाढ़ शुक्ल की एकादशी सोमवार, 23 जुलाई को है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन से चातुर्मास भी प्रारंभ हो जाता है। देवशयनी एकादशी के दिन से सभी शुभ कार्यों में विराम लग जाता है। क्योंकि पुराणों में इससे जुड़ी एक कथा के अनुसार श्री विष्णु चार महीने के लिए सोने चले जाते हैं। इसलिए इस एकादशी को देवशयनी कहा जाता है। इस एकादशी को भगवान विष्णु से मांगी हुई हर मनोकामना पूरी होती है। कहा जाता है कि भक्तों द्वारा इस दिन कुछ उपाय कर अपनी सभी मनोकामना को पूरा कर सकते हैं, आइए आपको बताते है कुछ उपाय जो होंगे आपके लिए लाभकारी...

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देवशयनी एकादशी का महत्व

पुराणों के अनुसार एकादशी का व्रत जो भी भक्त सच्चे मन से रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस एकादशी की कथा पढ़ने और सुनने से सहस्र गौदान के जितना पुण्य फल प्राप्त होता है और समस्‍त पापों का नाश हो जाता हैं। मृत्‍यु के बाद स्‍वर्गलोक की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस व्रत में भगवान विष्णु और पीपल की पूजा करने का शास्त्रों में विधान है।

एकादशी के दिन करें ये उपाय

1. देवशयनी एकादशी के दिन सुबह उठकर घर की सफाई करें व घर के मुख्य द्वार पर गंगाजल, हल्दी के जल का छिड़काव करें।

2. इस दिन निर्जला व्रत रखें। यदि ऐसा करना संभव ना होतो एक वक्त फलाहार कर व्रत को रख सकते हैं।

3. इस दिन "ॐ नमो नारायणाय" या "ॐ नमो भगवते वसुदेवाय नम:" का 108 बार जाप करें।

4. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का केसर युक्त जल से अभिषेक करें, लक्ष्मी व धन-धान्य की प्राप्ति होगी।

5. देवशयनी एकादशी की शाम तुलसी के सामने गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं और तुलसी के पौधे को प्रणाम करें।

6. भगवान विष्णु को पीतांबर भी कहा जाता है क्योंकी उन्हें पीला रंग बहुत पसंद है। इसलिए इस दिन विष्णु जी को पीले फल व पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।

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एकादशी व्रत पूजन विधि

नारदपुराण के अनुसार, इस एकादशी के बाद भगवान विष्णु शयन के लिए चले जाते हैं तो उनकी पूजा भी इस दिन खास होती है। इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत होकर भगवान विष्णु का ध्यान करें। भगवान के ध्यान के बाद उनके व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयार करें। पूजा घर में भगवान विष्णु की तस्वीर पर गंगाजल के छींटे दें और रोली-चावल से उनका तिलक करें और फूल चढ़ाएं। भगवान के सामने देसी घी का दीपक जलाना ना भूलें और जाने-अनजाने जो भी पाप हुए हैं उससे मुक्ति पाने के लिए प्रार्थना करें और उनकी आरती भी उतारें।

इसके बाद द्वादशी तिथि को स्नान करने के बाद भगवान को व्रत पूरा होने पर आराधना करें और ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा सहित विदा करें। ऐसा करने से आपका व्रत पूर्ण होता है। जो कोई भी व्रत नहीं करते हैं, उनके लिए भी शास्त्रों में बताया गया है कि वह इस दिन बैंगन, प्याज, चावल, बेसन से बनी चीजें, पान-सुपारी, लहसुन, मांस-मदिरा आदि चीजों से परहेज करें। व्रत रखने वाले दशमी से ही विष्णु भगवान का ध्यान करें और भोग विलास से खुद को दूर रखें।



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