अगर बच्चे का नामकरण करने जा रहे हैं तो रखे इन बातों का ध्यान

नामकरण संस्कार बच्चे के जन्म के बाद सबसे पहला संस्कार होता हैं, यों तो जन्म के तुरन्त बाद ही जातकर्म संस्कार का विधान है, भारतीय परंपरा में बच्चे के जन्म पर समय, दिन और सौर्यमंडल की स्थिति को देखकर ही नाम रखा जाता है । कहा जाता है कि बच्चे का नाम हिन्दी अक्षर वर्णमाला के पहले या दूसरे अक्षरों में ही रखना चाहिए ।

 

शास्त्रों में वर्णन आता है कि नाम से ही किसी की पहचान होती हैं और अगर नाम प्रिय लगने वाला हो जिसे लेने से मन को शांति मिल सके, जैसे भगवान राम, कृष्ण आदि का नाम लेने से आनंद की अनुभूति होती है, नाम ही व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं । त्रेतायुग में जब श्रीराम का नामकरण और द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण का नाम उस समय के ऋषियों ने बहुत विचार करते हुए ही रखा था । हम जिस समाज में रहते हैं वह कर्मप्रधान है । यदि नाम बेहतर हो तो व्यक्ति के कर्म और भाग्य का पिटारा जल्दी ही खुल जाता हैं ।

 

यही कारण है कि भारतीय परिवारों में सदियों से बच्चों के नाम या तो किसी देवी-देवता के नाम पर रखे जाते हैं, या फिर कोई अन्य, गौर करने वाली बात यह है कि कोई भी व्यक्ति अपने बच्चों के नाम रावण, कुंभकर्ण, विभीषण, कंस या फिर अन्य दैत्यों के नाम पर नहीं रखते ।

 

इसलिए जब भी शिशु के जन्म के बाद नामकरण करें, तो सोच-समझकर ही नाम रखना चाहिए, करने से पहले इन बातों पर विशेष चिंतन करना बेहद जरूरी हैं-

 

- बच्चे का नामकरण करते समय नाम सरल शब्दों में हो, जिसे उच्चारित करने में समस्या न आएं और आधे अधूरे शब्दों का प्रयोग नाम में बिल्कुल भी नहीं करें ।

- वर्तमान समय में माता पिता अपने नाम के शब्दों को लेकर एक नया शब्द बनाकर बच्चों के नाम रखते हैं, यह भी एक बेहतर विकल्प है ।

 

- माता पिता कोशिश करें कि बच्चे का नाम हिन्दी अक्षर वर्णमाला के पहले या दूसरे अक्षरों में रखे, बाद के शब्दों का प्रयोग कम से कम करें ।

- बच्चे का नाम रखते समय नाम के शब्द का महत्व और अर्थ पहले ही समझ लेना चाहिए, क्योंकि ऐसे कई शब्द होते हैं जो सुनने और बोलने में भले ही अच्छे लगें, लेकिन उनके अर्थ जीवन में अनर्थ भी कर सकता हैं ।

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