28 जुलाई से शुरू हो रहा श्रावन मास, जाने सोमवार की प्रमुख तिथियां में इन चीजों से भूलकर भी नहीं करें पूजन

28 जुलाई 2018 शनिवार से प्रारंभ हो रहा भगवान शिव शंकर का सबसे प्रिय श्रावण का महीना, वैसे श्रावण मास की तिथि 27 जुलाई को ही लग जायेगी, लेकिन उदया तिथि 28 से लगने के कारण श्रावण की शुरुआत 28 जुलाई से ही मानी जाएगी । इस बार श्रावण में 4 सोमवार पड़ने वाले हैं, और 26 अगस्त 2018, रविवार को श्रावण मास का अंतिम दिन होगा । श्रावण में प्रति सोमवार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त अनेक उपाय करते हैं, लेकिन बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि पूजन सामग्रियों में कुछ ऐसी भी सामग्री है जो भगवान भोलेनाथ पर भूलकर भी अर्पित नहीं करनी चाहिए ।


इन तिथियों में हैं श्रावण सोमवार

- शनिवार, 28 जुलाई 2018 को श्रावण मास का पहला दिन

- सोमवार, 30 जुलाई 2018 श्रावण सोमवार व्रत

- सोमवार, 06 अगस्त 2018 श्रावण सोमवार व्रत

- सोमवार, 13 अगस्त 2018 श्रावण सोमवार व्रत
सोमवार, 20 अगस्त 2018 श्रावण सोमवार व्रत

रविवार, 26 अगस्त 2018 को श्रावण मास का अंतिम दिन रहेगा ।

इन पूजन सामग्रियों को शिव जी को अर्पित नहीं करें

1- शंख से जल
भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था । शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है जो भगवान विष्णु का भक्त था । इसलिए विष्णु भगवान की पूजा शंख से होती है शिव की नहीं ।

2- तुलसी
जलंधर नामक असुर की पत्नी वृंदा के अंश से तुलसी का जन्म हुआ था जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया है, इसलिए तुलसी से शिव जी की पूजा नहीं की जाती ।

3- तिल
यह भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ माना जाता है इसलिए इसे भगवान शिव की पूजा में इसका उपयोग नहीं करना चाहिए ।

4- खंडित चावल
शास्त्रों में उल्लेख आता हैं कि भगवान शिव को अक्षत यानी साबूत चावल ही चढ़ाना चाहिए, पूजा के लिए टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध माना गया है इसलिए यह शिव जी को नहीं चढ़ाया जाता ।

5- कुमकुम
कुमकुम को सौभाग्य का प्रतीक माना गया है, और भगवान शिव वैरागी हैं इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ाया जाता ।

6- हल्दी
हल्दी का संबंध भगवान विष्णु और सौभाग्य से है इसलिए यह भगवान शिव को नहीं चढ़ती है ।

7- नारियल पानी
नारियल देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है जिनका संबंध भगवान विष्णु से है इसलिए शिव जी को नारियल भी नहीं चढ़ाया जाता ।

8- केतकी फूल
केतकी के फूल को भगवान शिव ने त्याग दिया, शिवपुराण के अनुसार एक बार ब्रह्माजी और भगवान विष्णु में विवाद हो गया कि दोनों में कौन अधिक बड़े हैं । जब शिवजी ने केतकी से पूछा तो उसने शिवजी को असत्य बोलने के कारण केतकी के फूल को शिव पूजा में उपयोग नहीं किया जाता ।

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