7 वीं सदी में बना था पुरी के भगवान श्री जगन्‍नाथ का मंदिर

इतिहास में उल्लेख मिलता है कि पुरी के जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 7 वीं सदी में लगभग 800 से भी ज्यादा साल पहले हुआ था, चार धामों में से एक माना जाने वाला भगवान श्री जगन्‍नाथ का मंदिर पूरी दुनिया में काफी प्रसिद्ध है । इस मंदिर में भगवान श्री जगन्‍नाथ के साथ उनके बड़े भाई भगवान बलराम जी और उनकी बहन देवी सुभद्रा जी की भव्य और मनमोहक मूर्ति विराजमान हैं ।

 

ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान श्री विष्‍णु चारों धामों की यात्रा पर जाते थे तब वह भारत के उत्‍तराखण्‍ड में चमोली के बद्रीनाथ में स्‍नान करते, गुजरात के द्वारका में वस्‍त्र पहनते हैं, पुरी में भोजन करते और तमिलनाडु के रामेश्‍वरम में विश्राम करते थे । बाद में श्री भगवान पुरी में निवास करने लगे और कहा जाता है कि तभी से जगन्‍नाथ मंदिर बन गया । जब इस मंदिर का निर्माण हुआ तब अषाड़ महिना ही चल रहा था । इसलिए हर साल अषाड़ (जून-जुलाई) के महीने में भगवान जगन्‍नाथ के मंदिर में विशाल रथयात्रा का आयोजन होने लगा जो आज तक निरतंर जारी हैं ।

 

आषाढ़ शुक्‍ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पुरी से शुरू होने वाली जगन्‍नाथ रथयात्रा केवल दक्षिण भारत ही नहीं बल्‍कि अब पूरे देश में मनायें जाने वाले प्रमुख धार्मिक उत्‍सवों में से एक है । इस साल 2018 में यह रथयात्रा 14 जुलाई से शुरू होने जा रही है । हर साल होने वाली इस यात्रा में देश दुनिया से लाखों श्रद्धालु भाग लेंगे ।

 

1- 800 साल पुराने इस मंदिर में योगेश्‍वर भगवान श्रीकृष्‍ण जगन्‍नाथ जी रूप में विराजमान हैं । जगन्नाथ पुरी भारत के चार पवित्र धामों में से एक हैं ।
2- पुरी में जगन्‍नाथ यात्रा में श्री बलराम जी, श्रीकृष्‍ण एवं श्री सुभद्रा जी तीन अलग अलग रथों में विराजमान होते हैं ।


3- भगवान जगन्नाथ जी गरुडध्‍वज या नन्‍दीघोष नामक रथ, श्री सुभद्रा जी दर्पदलन नामक रथ एवं श्री बलदाऊ जी पालध्‍वज नामक रथ पर विराजमान होते हैं ।
4- इन तीनों रथों को सिंहद्वार पर अषाढ़ माह के शुक्‍ल की द्वितीय तिथि को लाया जाता हैं ।

jagannath temple

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