उड़िसा राज्य के पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर देश ही नहीं पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, और यहां से निकलने वाली रथयात्रा में शामिल होने के लिए दुनियां भर से श्रद्धालु आते हैं । लेकिन इस मंदिर की खास बात यह हैं कि मंदिर का आर्किटेक्ट इतना भव्य है कि दूर-दूर के वास्तु विशेषज्ञ इस पर रिसर्च करने के लिए आते हैं, यहां से जुड़ी कुछ ऐसी आश्चर्यजनक बाते हैं जिसे देखकर कोई भी इसके बारे में सोचने के लिए मजबूर हो जाता हैं, कि आखिर ऐसा होता है तो कैसे । जानिए कुछ आश्चर्यजनक बातें ।
1- भगवान जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज (झडा) सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है ।
2- जगन्नाथ पुरी में किसी भी स्थान से आप मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा ।
3- यहां सामान्य दिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पुरी में इसका उल्टा होता है ।
4- आज तक इस मंदिर के ऊपर से कोई भी पक्षी या विमानों को उड़ते हुए नहीं देखा गया ।
5- इस मंदिर के मुख्य गुंबद की छाया दिन में किसी भी समय दिखाई ही नहीं देती ।
6- सबसे बड़ा चमत्कार इस मंदिर का यह है कि मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन पदार्थ की मात्रा पूरे साल भर के लिए रहती है, प्रसाद की एक बूंद भी व्यर्थ नहीं जाती, जितना प्रसाद बनता हैं उसे लाखों श्रद्धालुओं के खाने के बाद भी मंदिर बंद होने के समय तक सबको मिल भी जाता हैं और बचता भी नहीं ।
7- मंदिर की रसोई में बनने वाले प्रसाद को पकाने के लिए 7 बर्तनों को एक दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं, और इन्हें कुछ लकड़ियों पर ही पकाया जाता है, यहां भी चमत्कार दिखने को मिलता क्योंकि जिस बर्तन को सबसे ऊपर रखा जाता हैं उसका प्रसाद सबसे पहले पक जाता हैं । फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक बर्तन का प्रसाद पकते जाता हैं ।
8- मंदिर के सिंहद्वार में पहला कदम रखते ही समुद्र से निकलने वाली किसी भी प्रकार की ध्वनि को नहीं सुना जा सकता ।
9- इस मंदिर का रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर बताया जाता हैं ।
10- प्रतिदिन शाम के समय मंदिर के ऊपर लगे ध्वज को मनुष्य के द्वारा उल्टा चढ़कर ही बदला जाता है ।
11-भगवान जगन्नाथ मंदिर का कुल क्षेत्रफल 4 लाख वर्गफुट में है ।
12- इस मंदिर की ऊंचाई कुल 214 फुट है ।
13- दुनिया की सबसे बड़े रसोईघर में भगवान जगन्नाथ के भोग के लिए बनने वाले महाप्रसाद को बनाने के लिए कुल 500 रसोइयां एवं उनके 300 सहायक सहयोगी एक साथ काम करते हैं । सबसे बड़ी बात यह हैं कि ये सारा महाप्रसाद आज भी मिट्टी के बर्तनों में ही पकाया जाता है ।
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