हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार जातक की हथेली पर बनी हर सूक्ष्म रेखा, निशान या चिन्ह से उसके बारे में हर एक बात जान सकते है। हस्तरेखा शास्त्र का वृहद् अध्ययन करके हम व्यक्ति के स्वभाव, गुण, शिक्षा व उसके व्यापार नौकरी से संबंधित जानकारी जुटा सकते हैं। हथेली की रेखाओं के बारे में तो हर व्यक्ति थोड़ी बहुत जानकारी रखता है, पर हथेली पर कुछ ऐसी रेखाएं व उनका स्थान होता है। जो अपनी उपस्थिति से व्यक्ति के भाग्य में बड़ा उलटफेर कर सकते हैं।
यदि दोनों हाथों में भाग्य रेखा मणिबंध से शुरु होकर सीधी शनि पर्वत पर जाती हो और सूर्य पर्वत पूर्ण विकसित, लालिमा लिए हुए हो और उस पर सूर्य रेखा भी बिना कटी-फटी, पतली और स्पष्ट हो, साथ ही मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा तथा आयु रेखा स्पष्ट हो तो तब ऐसी स्थिती को गजलक्ष्मी योग कहा जाता है। यदि यह योग किसी व्यक्ति के हाथ में बनता है तो ऐसा व्यक्ति साधारण परिवार में जन्म लेकर भी अपने शुभ कर्मों से उच्च स्तरीय जीवनयापन करता है। ऐसे व्यक्ति को भरपूर सम्मान की प्राप्ति होती है और वह समस्त ऐश्वर्य, सुख भोगता है। व्यापार की बात करें तो ऐसे व्यक्ति समुद्र पार व्यापार करते हैं और नौकरीपेशा व्यक्ति उच्च पदों पर आसानी से पहुंच जाते हैं। इनका दांपत्य भी काफी अच्छा होता है और जीवनसाथी सुंदर मिलता है।
यदि हथेली के बीच का हिस्सा दबा हुआ गहरा हो, सूर्य और गुरु पर्वत पुष्ट, मजबूत और उभरे हुए हो, भाग्य रेखा शनि पर्वत के मूल को छूती हो तो हाथ में शुभकर्तरी योग बनता है। जिस व्यक्ति के हाथ में यह योग होता है वह तेजस्वी और आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक होता है। उसके आसपास ऐश्वर्य और भौतिक सुख-सुविधाएं खिचीं चली आती हैं। एक से अधिक साधनों से आय प्राप्त करता है तथा अपने पूर्वजों से मिली संपत्ति में वृद्धि करने वाला होता है। शारीरिक दृष्टि से ऐसा व्यक्ति आकर्षक होता है। विपरीत लिंगी व्यक्तियों की इनके जीवन में भरमार होती है।
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