27 जुलाई को साल 2018 का दूसरा चंद्र ग्रहण पड़ रहा है, यह ग्रहण रात 11.54 से शुरू होकर अगले दिन 28 जुलाई सुबह 3.49 तक रहेगा, यानी यह पूर्ण चंद्र ग्रहण 1 घंटे 48 मिनट तक बना रहेगा । इस चंद्र ग्रहण में चंद्रमा लाल रंग का दिखेगा, जिसे ब्लड मून भी कहा जाता है ।
चूंकि वर्षाकाल चल रहा हैं और बारिश में काले घने बादल होने के कारण आसमान में चांद स्पष्ट दिखाई नहीं दे पाता । अगर सदी के सबसे लम्बे पूर्ण चन्द्रग्रहण को पूर्ण रूप से देखना चाहत है तो बारिश के देवता देवराज इंद्र को प्रसन्न करने के लिए प्रार्थना करनी होगी क्योंकि बिना इंद्र देव की कृपा के चन्द्रग्रहण के दर्शन कर पाना शायद ही संभव होगा, और अगर बारिश नहीं हुई तो 27 और 28 जुलाई की रात को पूर्ण चंद्र गहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की लुकाछिपी का अद्भुत नजारा भारत के ज्यादातर हिस्सों में दिखाई देगा । इस बार पूर्ण चंद्र गहण देश के ज्यादातर उन्हीं हिस्सों में देखा जा सकेगा, जहां बारिश नहीं होगी और आकाश साफ रहेगा ।
ग्रहनक्षत्रों और ज्योतिष के जानकार कहते हैं कि ग्रहण के वक्त खुले आकाश में नहीं निकलना चाहिए, खासकर गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, रोगी और बच्चे, ग्रहण काल से पहले या बाद में ही भोजन करना चाहिए ।
इससे पहले साल 2018 का पहला चंद्र ग्रहण 31 जनवरी को दिखाई दिया था, 152 साल बाद यह ऐसा चंद्र ग्रहण था, जो 77 मिनट तक के लिए रहा, इस दौरान चांद 30 फीसदी ज़्यादा चमकीला था । इस साल पांच ग्रहण होंगे, जिसमें से 3 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण हैं. 27 जुलाई को साल 2018 का दूसरा चंद्र ग्रहण होने जा रहा हैं ।
वैज्ञानिकों की माने तो 27 जुलाई की रात 11 बजकर 54 मिनट 02 दो सेकेंड होगी, जब पृथ्वी की काली छाया चंद्रमा को आहिस्ता-आहिस्ता ढकना शुरू करेगी, पूर्ण चंद्रग्रहण रात 01 बजकर 51 मिनट 08 सेकेंड पर अपने चरम स्तर पर पहुंचेगा, जब पृथ्वी की छाया से चंद्रमा 161.4 प्रतिशत ढका नजर आएगा, पूर्ण चंद्र ग्रहण की यह स्थिति अगले एक घंटे 42 मिनट 57 सेकेंड तक रहेगी ।
इसके बाद पृथ्वी की छाया चंद्रमा से धीरे-धीरे हटने लगेगी और 28 जुलाई को सुबह 03 बजकर49 मिनट 03 सेकेंड पर ग्रहण खत्म हो जाएगा । पूर्ण चंद्र ग्रहण का यह दृश्य एशिया के कुछ अन्य देशों के साथ अंटाकर्टिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, रूस, अफ्रीका और अमेरिका के कुछ इलाकों में भी दिखेगा ।
पूर्ण चंद्र ग्रहण तब लगता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है और अपने उपग्रह चंद्रमा को अपनी छाया से ढक लेती है, चंद्रमा इस स्थिति में पृथ्वी की ओट में पूरी तरह छिप जाता है और उस पर सूर्य की रोशनी नहीं पड़ पाती है । इस खगोलीय घटना के वक्त पृथ्वीवासियों को चंद्रमा लाल आभा लिए दिखायी देता है जिसे 'ब्लड मून' भी कहा जाता है ।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2mINHdc
EmoticonEmoticon