पुराण में है भगवान शिव और माता पार्वती की तीन पुत्रियों का वर्ण, जानें क्या हैं इनके नाम

भगवान श‍िव की पूजा करने से सुख-शांति मिलती है। कहा जाता है की हर समस्या और उससे निकलने के रास्ते भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से मिल जाते हैं। किसी भी व्यक्ति की कोई भी परेशानी हो चाहे वह परिवार की सुख-शांति की हो या संतान की कामना हो या विवाह से संबंधित हो श‍िव परिवार की पूजा करने से सभी दूर हो जाती है। वैसे सामान्य तौर पर हर शिव मंदिर में भोलेनाथ अपने परिवार में दो पुत्र के साथ दिखाई देते हैं। लेकिन आपको बता दे की भगवान शिव की 6 संतानें हैं। इनमें तीन पुत्र हैं और इन्‍हीं के साथ उनकी 3 पुत्र‍ियां भी हैं।

bhagwan shiv

इसका वर्णन श‍िव पुराण में मिलता है। शिव पुराण के अनुसार गणेश और कार्तिकेय के अलावा भगवान श‍िव के तीसरे पुत्र का नाम भगवान अयप्‍पा है और दक्ष‍िण भारत में अयप्पा की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की जाती है। वहीं श‍िव की तीनों पुत्र‍ियों के नाम हैं - अशोक सुंदरी, ज्‍योति या मां ज्‍वालामुखी और देवी वासुकी या मनसा। हालांकि तीनों बहनें अपने भाइयों की तरह बहुत चर्चित नहीं हैं लेकिन देश के कई हिस्‍सों में इनकी पूजा होती है। इनमें से श‍िव जी की तीसरी पुत्री यानी वासुकी को देवी पार्वती की सौतेली बेटी माना जाता है। मान्‍यता है कि कार्तिकेय की तरह ही पार्वती ने वासुकी को जन्‍म नहीं द‍िया था।

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अशोक सुंदरी है भगवान शिव की बड़ी बेटी

देवी पार्वती को अपना अकेलापन दूर करने के लिए एक पुत्री का साथ चाहिए था। इसलिए उन्होंने श‍िव जी की बड़ी बेटी अशोक सुंदरी को जन्म दिया था। अशोक सुंदरी देवी पार्वती के समान ही सुंदर थी। इसलिए उनके नाम में के साथ सुंदरी शब्द को जोड़ा जाता है। वहीं उनको अशोक नाम इसल‍िए द‍िया गया क्‍योंकि वह पार्वती के अकेलेपन का शोक दूर करने आई थीं। अशोक सुंदरी की पूजा खासतौर पर गुजरात में होती है। अशोक सुंदरी को नमक के महत्व से भी जोड़ा जाता है क्योंकि भगवान शिव द्वारा श्री गणेश के वद्ध के दौरान अशोक सुंदरी नमक के बोरे में छिप गईं थी।

शिव की दूसरी बेटी है ज्‍योति

श‍िव जी की दूसरी पुत्री का नाम ज्‍योति है और उनके जन्‍म से जुड़ी दो कहान‍ियां बताई जाती हैं। पहली के अनुसार, ज्‍योति का जन्‍म श‍िव जी के तेज से हुआ था और वह उनके प्रभामंडल का स्‍वरूप हैं। दूसरी मान्‍यता के अनुसार ज्‍योति का जन्‍म पार्वती के माथे से निकले तेज से हुआ था। देवी ज्‍योत‍ि का दूसरा नाम ज्‍वालामुखी भी है और तमिलनाडु कई मंद‍िरों में उनकी पूजा होती है।

मनसा है तीसरी बेटी

मनसा का जन्‍म भी कार्तिकेय की तरह पार्वती के गर्भ से नहीं हुआ था। बताया जाता है मनसा का एक नाम वासुकी भी है और पिता, सौतेली मां और पति द्वारा उपेक्ष‍ित होने की वजह से उनका स्‍वभाव काफी गुस्‍से वाला माना जाता है। पुराणों के अनुसार मनसा का जन्म तब हुआ जब श‍िव जी का वीर्य कद्रु, जिनको सांपों की मां कहा जाता है, के बनाए एक पुतले को छू गया था। इसलिए उनको श‍िव की पुत्री कहा जाता है लेकिन पार्वती की नहीं। वैसे इनकी पूजा किसी प्रतिमा या तस्वीर से नहीं होती। इन्हें पेड़ की डाल, मिट्टी का घड़ा या मिट्टी का सांप बनाकर पूजा जाता है। बंगाल की लोककथाओं के अनुसार, सर्पदंश का इलाज मनसा देवी के पास होता है। बंगाल के कई मंद‍िरों में मनसा का व‍िध‍िवत पूजन किया जाता है। हालांकि श‍िव जी की पुत्र‍ियों के बारे में ज्‍यादा लोग नहीं जानते हैं लेकिन पुराणों में कई जगह उनका उल्‍लेख होता है।



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