महिलाएं सीता जी की इन बातों को जीवन में शामिल करेंगी तो दांपत्य जीवन बनेगा सुखमय

भगवान श्रीराम की व माता जानकी सीता जी का चरित्र सबसे उत्तम और आदर्श माना जाता हैं, वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता ने जब से दांपत्य जीवन में प्रवेश किया तब से लकेर अंतिम समय तक संघर्ष ही करना पड़ा । लेकिन हर परिस्थिति में उनहोंने पतिव्रत धर्म का पालक करते हुए पूरे परिवार को भी माला के मोतियों की भांती एक सूत्र में पिरोये रखा । एक श्रेष्ठ पत्नी, एक उत्तम बहू, प्रजाजनों के लिए मातृ तुल्य महारानी और एक ऐसी मां जिसने विपरीत परिस्थियों में अपनी संतानों को महान संस्कारित वीर योद्धा बनायें, ऐसे उदाहरण संसार में बहुत कम ही देखने को मिलते है । अगर माता सीता के जीवन की इन बातों का वर्तमान की स्त्रियां जीवन में अनुसरण करने लगे तो दांपत्य जीवन सुखमय हो सकता है ।

 

1- माता सीता का समर्पण


श्रीरामचरित मानस में एक प्रसंग आता हैं कि जब श्रीराम और सीता जी ने विवाह के बाद पहली बार बात की तो श्रीराम ने सीता को वचन दिया कि वे जीवनभर उन के प्रति निष्ठावान रहेंगे । सीता जी के अलावा उनके जीवन में कभी कोई दूसरी स्त्री नहीं आएगी, और माता सीता ने भी वचन दिया कि हर सुख और दुख में वे श्रीराम जी ते साथ रहेंगी, और एक दूसरे पर भरोसे के साथ समर्पण का वादा किया था ।

 

2- श्रीराम का वनवास गमन


जब श्रीराम जी वनवास जा रहे थे तब वह चाहते थे सीता जी मां कौशल्या के पास ही रुककर उनकी सेवा करें लेकिन सीता जी ने श्रीराम के साथ वनवास जाने का मार्ग चूना । वर्तमान में सास, बहू और बेटा, इन तीनों के बीच मतभेद होने से परिवार टूटने लगे है । लेकिन रामायण में श्रीराम के धैर्य, सीताजी और कौशल्याजी की समझ से सभी मतभेद दूर हो गए ।

 

3- सीता जी ने ऐसे समझी राम के मन की बात


केवट की नाव में जब सीता जी ने श्रीराम के चेहरे पर संकोच के भाव देखे तो सीता ने तुरंत ही अपनी अंगूठी उतारकर उस केवट को भेंट में देनी चाही, लेकिन केवट ने अंगूठी नहीं ली । केवट ने कहा कि वनवास पूरा करने के बाद लौटते समय आप मुझे जो भी उपहार देंगे मैं उसे प्रसाद समझकर स्वीकार कर लूंगा ।

 

4- सीता जी के चेहरे पर संकोच


एक बार श्रीराम जी के चेहरे पर संकोच के के भाव देखते ही सीता जी समझ गईं कि राम, केवट को कुछ भेंट देना चाहते हैं, लेकिन उनके पास देने के लिए कुछ नहीं था । यह बात समझते ही सीता ने अपनी अंगूठी उतारकर केवट को देने के लिए आगे कर दी ।

 

5- श्रीराम के साथ वन गमन


सीता जी और राम जी वन में साथ रहे उनकी यह बात इंगित करती है कि पति-पत्नी गृहस्थी की धुरी होते हैं । ऐसी सफल गृहस्थी ही सुखी परिवार का आधार होती है । अगर पति-पत्नी के रिश्ते में थोड़ा भी दुराव या अलगाव है तो फिर परिवार कभी खुश नहीं रह सकता । परिवार का सुख, गृहस्थी की सफलता पर निर्भर करता है ।

 

6- सीता में थे ये सभी गुण


माता सीता जी की भांती ही प्रत्येक स्त्री में ऐसे कई श्रेष्ठ गुण होते हैं जो पुरुष को भी अपना चाहिए । प्रेम, सेवा, उदारता, समर्पण और क्षमा की भावना स्त्रियों में ऐसे गुण हैं, जो उन्हें देवी के समान सम्मान और गौरव प्रदान करते हैं ।

 

सीता जी के उपरोक्त प्रसंगों को प्रत्येक महिलाएं अपनाने से वैवाहिक जीवन में दोनों की आपसी समझ जितनी मजबूत होगी, वैवाहिक जीवन उतना ही ताजगीभरा और आनंददायक बना रहेगा ।

sita ji

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