श्रावण मास के पहले है शिव प्रदोष, तांडव नृत्य की यह अद्भुत कथा आपने नहीं पढ़ी होगी...

एक बार 'नटराज' भगवान्‌ शिव के तांडव-नृत्य में सम्मिलित होने के लिए समस्त देवगण कैलाश पर्वत पर उपस्थित हुए। जगज्जननी माता गौरी वहां दिव्य रत्नसिंहासन पर आसीन होकर अपनी अध्यक्षता में तांडव का आयोजन कराने के लिए उपस्थित थीं।

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