गणेशोत्सव प्रारंभ हो चुका है। इस दौरान सभी गणेश भक्त गणपति जी की भक्ती में लीन रहते हैं। गणेश जी को बुद्धि के देवता कहा जाता है। इन दिनों भारत के लगभग सभी गणेश मंदिरों में दर्शन के लिए सैलाब उमड़ा हुआ है। वहीं मध्यप्रदेश के आगर-मालवा जिले में स्थित नलखेड़ा में गोबर गणेश मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। इस समय मंदिर में गणेश भक्तों की आशीर्वाद लेने के लिए भीड़ उमड रही है। गोबर के अति प्राचीन ये श्रीगणेश श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। मान्यताओं के अनुसार गोबर के यह गणेश किसी भी भक्त को निराश नहीं करते। खाली झोली लेकर आए भक्त यहां से खुशी-खुशी जाते हैं। नलखेड़ा में गोबर के गणेश की प्रतिमा सैकड़ों वर्षों से यहां स्थापित है।
गणेश जी का होता है अनोखा श्रृंगार
दस दिवसीय गणेश उत्सव के दौरान जिले के नलखेड़ा में गणेश दरवाजा स्थित प्राचीन गणेश मंदिर में श्रीगणेश की 500 साल से अधिक पुरानी गोबर से गणेश जी की प्रतिमा का अनुपम शृंगार किया जाता है। कमल के फूल पर विराजित यह प्रतिमा श्रृंगार के बाद और भी आकर्षक लगती है। मंदिर में गणेश जी का श्रृंगार देख लोग भावविभोर हो उठते हैं। गोबर के श्रीगणेश की इस विशाल प्रतिमा के साथ-साथ आसपास रिद्धि-सिद्धि की प्रतिमाएं भी विराजित हैं और गणेश जी के पैरों के पास मूषक भी बना है। वहीं गणपति के एक हाथ में लड्डू है। वैसे तो सामान्य दिनों में भी मंगलमूर्ति गणेश के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन गणेशोत्सव के दौरान भक्तों की भीड़ ज्यादा देखने को मिलती है। इस दौरान भगवान गणेश का मनोहारी श्रृंगार अपनी अलग ही छटा बिखेरती है।
राजा नल की नगरी नलखेड़ा में पांडवकालीन पीतांबरा सिद्धपीठ मां बगलामुखी का प्राचीन मंदिर होने से यह नगर देश सहित विदेशों में प्रसिद्धि प्राप्त कर रहा है। वहीं नगर के मध्य बीच चौराहे पर गणेश दरवाजा स्थित गणेश मंदिर में अत्यंत ही प्राचीन 10 फुट ऊंची गणपतिजी की प्रतिमा भी विराजमान है। नगर के मुख्य द्वार पर इस प्रतिमा की स्थापना किसने की, इसका उल्लेख तो कहीं नहीं मिलता है परन्तु पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार यह प्रतिमा 500 वर्ष से अधिक पुरानी होकर गोबर से निर्मित है।
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