अद्भुत मंदिर, जहां लोगों ने कई बार की गणेश प्रतिमा को डूबाने की कोशिश, लेकिन लौट आई यथास्थान

भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक मनाकुला विनायगर मंदिर पुडुचेरी में स्थित है। मंदिर को लेकर कहा जाता है की फ्रांस से आए लोगों ने कई बार इस मंदिर की गणपति प्रतिमा को समुद्र में डुबो दिया था। लेकिन प्रतिमा अपने स्थान पर वापस आ जाती थी। इसे चमत्कार कहेंगे या अंधविश्वास यह तो कोई नहीं जानता। इसके अलावा भी मंदिर की पूजा में कई बार विघ्न उतपन्न करने की कोशिश की गई लेकिन भगवान के चमत्कार के कारण कभी यह संभव नहीं हो पाया। शुक्रवार के दिन मंदिर में विशेष पूजा की जाती है। मंदिर से भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है। गणपति जी का यह मंदिर अपनी खूबसूरती के लिए लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

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मंदिर में छुपी है गणेश जी के जन्म से विवाह तक की अनेकों कथाएं

इस मंदिर की दीवारों पर प्रसिद्ध चित्रकारों ने गणेश जी के जीवन से जुड़े दृश्य चित्रित किए हैं, जिनमें गणेश जी के जन्म से विवाह तक की अनेकों कथायें छिपी हुई हैं। शास्त्रों में गणेश के जिन 16 रूपों की चर्चा है वे सभी मनाकुला विनायगर मंदिर की दीवारों पर नजर आते हैं।इस मंदिर का मुख सागर की तरफ है इसीलिए इसे भुवनेश्वर गणपति भी कहा गया है। तमिल में मनल का मतलब बालू और कुलन का मतलब सरोवर होता है। प्राचीन कथाओं के अनुसार पहले यहां गणेश मूर्ति के आसपास ढेर सारी बालू थी, इसलिए ये मनाकुला विनायगर कहलाने लगे।

 

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करीब 8,000 वर्ग फुट क्षेत्र में फैला है मंदिर

मंदिर करीब 8,000 वर्ग फुट क्षेत्र में बना है। मंदिर की आंतरिक सज्जा सोने (स्वर्ण) से जड़ी हुई है। मंदिर में मुख्य गणेश प्रतिमा के अलावा 58 तरह की गणेश प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर में गणेश जी का 10 फीट ऊंचा भव्य रथ है। बताया गया है की मंदिर के रथ के निर्माण में करिब साढ़े सात किलोग्राम सोने का इस्तेमाल हुआ है। गणेश जी इस रथ पर हर साल विजयादशी के दिन सवार होकर अपनी प्रजा का हाल जानने निकलते हैं। हर साल अगस्त-सितंबर महीने में मनाया जाने वाला ब्रह्मोत्सव यहां का मुख्य त्योहार है, जो 24 दिनों तक चलता है। मंदिर सुबह 5.45 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक और शाम को 4 बजे से रात्रि 9.30 बजे तक खुला रहता है और अपने भक्तो को दर्शन देते है बप्पा।



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