जवान बने रहने के लिए शरद पूर्णिमा की रात रावण करता था ये काम, जानकर हैरान रह जाएंगे आप

शरद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व माना जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसके अलावा पूजा-अनुष्ठान के लिए यह दिन सर्वश्रेष्ठ है, वहीं शोध के अनुसार बात करें तो शरद पूर्णिमा के दिन औषधियों की स्पंदन क्षमता काफी अधिक होती है। रसाकर्षण के कारण जब अंदर का पदार्थ सांद्र होने लगता है, तब रिक्तिकाओं से विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है। इस दिन कई तरह के रिति-रिवाजों का पालन किया जाता है। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व व रिति-रिवाजों के बारे में....

 

 

sharad purnima

दशानन, रावण करता था शरद पूर्णिमा को यह विशेष साधऩा

शरद पूर्णिमा की रात को रावण एक विशेष साधना करता था, इस साधना में वह चंद्र की किरणों को दर्पण की सहायता से अपनी नाभि पर ग्रहण करता था। रावण की नाभि में अमृत था और वह इस अमृत की वृद्धि के लिए पूर्णिमा की रात्रि को दर्पण लगाकर चंद्रमा की रोशनी को नाभि पर केंद्रित करता था। जिससे वह सदैव युवा रहता था। इसलिए मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की शरद पूर्णिमा की रात में 10 से मध्यरात्रि 12 बजे के बीच कम वस्त्रों में घूमने वाले व्यक्ति को ऊर्जा प्राप्त होती है।

sharad purnima

अन्य मान्यताओं के अनुसार इस दिन किया जाता है यह

1. मान्यताओं के अनुसार इस दिन चांदनी रात में चंद्रमा की रोशनी में 100 बार सुई में धागा डालने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और इससे आंखें भी स्वस्थ रहती हैं।

2. शरद पूर्णिमा की रात में दूध और चावल की खीर बनाकर उसे चांद की रोशनी में रखने का महत्व है। माना जाता है कि खीर में चांद की रोशनी को अवशोषित करने की क्षमता अधिक होती है। धार्मिक आस्था है कि इस दिन चांदनी के साथ ही अमृत वर्षा होती है, इसलिए चांद की शीतल रोशनी में रखी गई खीर सेहत के लिए अच्छी होती है।

3. शरद पूर्णिमा को धन की देवी लक्ष्मी का जन्मदिन माना जाता है। इसलिए इस दिन को धन प्राप्ति की दृष्टि से और घर में समृद्धि लाने की दृष्टि से बहुत अच्छा माना जाता है। आस्था है कि शरद पूर्णिमा और देवी लक्ष्मी दोनों ही उज्जवल हैं। इसलिए इस रात में जागकर देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

4. शरद पूर्णिमा को वर्षा ऋतु की समाप्ति के लिए प्रकृति के संकेत के तौर पर भी माना जाता है। कहते हैं कि शरद पूर्णिमा का आना बताता है कि चतुर्मास चले गए हैं और अब धार्मिक अनुष्ठानों को मनाने का समय है।

5. मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा पृथ्वी के काफी करीब होता है, इसलिए उसकी रोशनी बाकी रातों की अपेक्षा अधिक उज्जवल होती है। इसकी शीतलता से स्वास्थ्य लाभ मिलता है।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2yvfzYI
Previous
Next Post »