कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि यानी की 7 नंवबर 2018 दिन बुधवार को हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली पर्व मनाया जायेगा । शास्त्रों की कथाओं के अनुसार इसी शुभ दिन मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम चौदह साल बाद वनवास से अयोध्या लौटे थे । अयोध्यावासियों ने अपने प्रभु श्रीराम, माता सीता और भैया लक्ष्मण के अयोध्या वापसी की खुशी में चारों तरफ दीप जलाकर उनका स्वागत किया था, और इस दिन की एक कथा और मानी जाती है कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी नरकासुर नामक असुर का वध किया था ।
दीपावली पूजा शुभ मुहूर्त-
दीपावली के दिन प्रदोषकाल में माता लक्ष्मी जी की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन भर कभी भी दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता ।
1- अमावस्या तिथि 6 नवंबर को रात 10 बजकर 27 मिनट से आरंभ होगी ।
2- अमावस्या तिथि 7 नवंबर को रात 9 बजकर 31 मिनट पर समाप्त हो जायेगी ।
3- लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त- शाम 5 बजकर 57 मिनट से 7 बजकर 53 मिनट तक ।
4- प्रदोष काल- शाम 5 बजकर 27 मिनट से रात 8 बजकर 6 मिनट तक ।
5- वृषभ काल- शाम 5 बजकर 57 से 7 बजकर 53 मिनट तक ।
आवश्यक पूजन साम्रगी एक दिन पहले ही एकत्रित करें
दीपावली के दिन लक्ष्मी माता की पूजा के लिए रोली, चावल, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, गाय के घी या तेल से भरे हुए दीपक, कपूर, कलावा, नारियल, गंगाजल, ऋतुफल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दिए आदि वस्तुएं पूजा के लिए एक दिन पहले ही एकत्र कर लेना चाहिए ।
ऐसे करें माँ लक्ष्मी की पूजा
1- कार्तिक अमावस्या के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर घर में स्थापित सभी देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए ।
2- शाम के समय पूजा घर में माता लक्ष्मी और श्रीगणेश जी की नई मूर्ति या फोटों को एक चौकी पर लाल या पीला कपड़े का आसन बिछाकर चावल से स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर स्थापित करना चाहिए ।
3- मूर्ति के दाहिने ओर तांबे या चांदी का जल से भरा कलश एवं बाई ओर गाय के घी का दो बत्ती वाला दीपक स्थापित करना चाहिए । परिवार के सभी सदस्य सामने बैठकर हाथ में जल लेकर स्वयं का एवं मूर्ति का शुद्धिकरण मंत्र से पवित्र करना चाहिए ।
4- अब फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला आदि सामग्रियों का प्रयोग करते हुए पूरे विधि-विधान से माता लक्ष्मी और श्रीगणेश जी की पूजन करना चाहिए ।
5- माँ लक्ष्मी पूजन के बाद माता सरस्वती, भगवान श्री विष्णु, माता महाकाली एवं कुबेर देव का भी विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए ।
6- पूजन करने के बाद इन दो मंत्रों का जप कम से कम 108 बार जरूर करना चाहिए - मंत्र-
1- ।। ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम: ॥
2- ।। ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ॥
7- जब घर, दुकान या अन्य जगहों पर जहां भी माता लक्ष्मी की पूजा की जाना वहां पूजन से पहले ही घर के चारों ओर कम से कम 11 छोटे दीप और एक बड़ा दीप जलाना चाहिए । अपनी आवश्यकता एवं सुविधानुसार दीपकों की संख्या ज्यादा भी की जा सकती हैं । उपरोक्त विधि विधान से शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन किया जायेगा तो जीवन भर रूपया पैसा कत्म नहीं होगा ।
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