यहां सूर्यदेव करते हैं पहली किरणों से गजानन के चरणों का अभिषेक, यमराज के मुनीम चित्रगुप्त रखते हैं लेखा-जोखा!

प्रथम पूज्य भगवान गणेश का जन्मोत्सव 2 सितंबर को मनाया जाएगा। मंदिरों ( ganesh temple ) के साथ घर-घर प्रथम पूज्य की स्थापना और आराधना होगी। इस मौके पर हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका बारे में कहा जाता है कि यहां पर सूर्यदेव अपनी पहली किरणों से गजानन के चरणों का अभिषेक करते हैं।

यह गणेश मंदिर जयपुर शहर के सूरजपोल बाजार में स्थित है। इस मंदिर श्वेत सिद्धि विनायक ( Siddhivinayak temple ) के नाम से जाना जाता है। यहां पर भगवान गणेश ( Lord Ganesha ) के साथ-साथ राधा-कृष्ण और चित्रगुप्त भी बिराजे हैं। यहां पर सूर्यदेव अपनी पहली किरणों से गजानन के चरणों का अभिषेक करते हैं।

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संगमरमर के पत्थर से बनी है प्रतिमा

यहां पर विराजमान भगवान गणेश की प्रतिमा श्वेत संगमरमर का है। श्वेत संगमरमर के पत्थर की होने से इस मंदिर श्वेत सिद्धि विनायक के नाम से प्रसिद्ध हैं। कहते हैं सिद्धि विनायक की महिमा अपरंपार है। वे भक्तों की मनोकामना को तुरंत पूरा करते हैं। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण जयपुर के महाराजा सवाई राम सिंह के समय कराया गया था। मंदिर की नींव माघ कृष्ण पंचमी को रखी गई थी। गणेश जी की दक्षिणवृत्ति श्वेत प्रतिमा इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है।

बताया जाता है कि गणेश प्रतिमा की स्थापना तांत्रिक विधि-विधान की गई थी। यही कारण है कि यहां गणेश जी की प्रतिमा पर सिंदूर का चोला नहीं चढ़ाया जाता है। प्रतिमा का केवल दूध एवं जल से ही अभिषेक होता है। जिसके चलते इस पर यहां लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। गणेश जी के चारों भुजाओं में सर्पाकार मणिबंध और पैरों में पेजनी है। गणेश जी का जनेऊ भी सर्पाकार है।

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चित्रगुप्त रखते हैं लेखा-जोखा

श्वेत सिद्धि विनायक एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान यम के मुनीम चित्रगुप्त का मंदिर स्थापित है। मान्यता है कि ईशान कोण में इस मंदिर की स्थापना लोगों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखने के लिए की गई थी। यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि भगवान चित्रगुप्त सभी श्रद्धालुओं के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा आज भी रखते हैं।



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