दिवाली पर दिये जलाने के पारंपरिक और वैज्ञानिक कारण जानिए

दिवाली को लेकर इस वक्त हर घर में तैयारी चल रही है। हर कोई अपने-अपने घरों में साफ-सफाई कर रहा है ताकि दिवाली के दिन वे अपने घर को दिये से रोशन कर सकें। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इस बार दिवाली 27 अक्टूबर को है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिवाली के दिन घरों को दिये से रोशन क्यों किया जाता है?


इस सवाल पर आप सोच में पड़ गए न। हो सकता है कि आप ये भी कहें कि पहले से मनते आ रहा है इसलिए हमलोग भी मना रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं है। आज हम आपको दिवाली पर दिये जलाने के पीछे का पारंपरिक और वैज्ञानिक कारण बताएंगे।

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पारंपरिक कारण

दरअसल, कुछ दिन पहले आपने दशहरा मनाया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार, दशहरा के दिन भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। यही कारण है कि इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि भगवान राम 14 वर्ष के वनवास काट कर जब अयोध्या लौटे तो अयोध्यावासियों ने उस दिन दिये जलाकर उनका स्वागत किया। कहा जाता है कि उस दिन कार्तिक मास की अमावस्या तिथि थी। तब ही से कार्तिक माह के अमावस्या तिथि को दिये जलाए जाते हैं और दिवाली मनाई जाती है। तब ही से यह परंपरा शुरू हो गई. जो आज तक जारी है।

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वैज्ञानिक कारण

दिवाली के दिन दिये जलाने के वैज्ञानिक कारण भी है। दरअसल, ये वो समय है जब मौसम में बदलाव होता है। वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु का आगमन होता है। कहा जाता है कि मौसम बदलने से मच्छरों का प्रकोप एका एक बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, दिये जलने से मच्छर उस ओर आकर्षित होते हैं और दिये की ओर जाते हैं और दिये से जलकर मर जाते हैं। यही कारण है कि दिवाली के दिन दिये जलाना शुभ माना जाता है।



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