1. मेष : ज्योतिष मान्यता के अनुसार मेष राशि का स्वामी मंगल होता है और मंगल ग्रह की शांति के लिए हनुमानजी की पूजा की जाती है। यदि मेष राशि वाले नित्य हनुमानजी की पूजा करते हैं तो उनकी परेशानी का निवारण तुरंत ही होता है। इस राशि के जातकों में साहस, इच्छाशक्ति, बुद्धिमानी और चतुरता होती है। यह हर क्षेत्र में अपने पराक्रम से सफलता अर्जित कर लेते है। इस राशि को कभी धन की कमी नहीं आती है।
2. सिंह : ज्योतिष के अनुसार सिंह राशि के स्वामी सूर्य देव हैं। सूर्य देव हनुमानजी के गुरु हैं। यह राशि भी पराक्रम, साहस, धैर्य और बुद्धिमानी से सफलता अर्जित करने में कुशल है। हनुमानजी की इन पर भी विशेष कृपा बनी रहती है। इस राशि के जातकों को कभी भी धन की कमी नहीं आती है। इस राशि के जातक भी बड़े बड़े संकटों से बाहर निकलने में सक्षम हैं।
3. वृश्चिक : ज्योतिष मान्यता के अनुसार वृश्चिक राशि का स्वामी भी मंगल होता है। इस राशि के लोगों को भी जीवन में कोई खास संघर्ष नहीं करना पड़ता है यदि वे हनुमानजी की नित्य पूजा और अराधाना करते हैं तो। इस राशि के जातकों में साहस के साथ ही बुद्धिमानी भी भरपूर रहती है। इन्हें भी कभी भी पैसों की कमी नहीं रहती है।
4. कुंभ : ज्योतिष के अनुसार वैसे तो कुंभ राशि का स्वामी शनि ग्रह है परंतु एकादश भाव में कुंभ राशि का स्थान है जो गुरु का भाव होने के साथ ही जहां पर मंगल ग्रह की कृपा भी बरसती है। इसे राशि के जातक यदि नित्य हनुमानजी पूजा करते हैं तो उनके जीवन में कभी भी धन और सुख की कमी नहीं होती है। साथ ही यह हर क्षेत्र में उन्नती करते हैं।
मंगलवार की हनुमान पूजा कैसे करें :
1. पूजन में शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है, इस दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत हो भगवान श्रीराम का स्मरण करते हुए भक्त व्रत एवं उपवास का पालन करते हुए भगवान का भजन व पूजन करते हैं।
2. नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद अपने हनुमानजी की मूर्ति या चित्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें।
3. पूजन में हनुमानजी के सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए। जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए।
4. फिर मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। फिर उनकी आरती उतारें। पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।
5. पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
6. अंत में आरती करें। आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
7. हनुमानजी के पूजा में हनुमान चालीसा, बजरंगबाण का पाठ या सुंदरकाण्ड का पाठ किया जाता है। उन्हें चौला भी चढ़ाया जाता है।
Disclaimer: यह जानकारी प्रचलित मान्यता पर आधारित है। इसके सत्य या असत्य होने की वेबदुनिया पुष्टी नहीं करता है। पाठक अपने विवेक से काम लें।
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