महाशिवरात्रि पर चलते हैंं रामेश्वरम, 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, यहां के दर्शन मात्र से मिलती है पापों से मुक्ति

हिन्दु शास्त्रों में 12 ज्योतिर्लिंगों का खासा महत्व माना गया है। ऐसे में शिवरात्रि जैसा महापर्व हो और 12 ज्योतिर्लिंगों की बात न हो ऐसा कैसे हो सकता है? माना जाता है कि यदि इस महापर्व पर 12 में से एक भी ज्यातिर्लिंग के दर्शन हो जाएं तो जीवन धन्य हो जाता है। आज पत्रिका.कॉम आपको लेकर जा रहा है इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने। ऑनलाइन दर्शन कर आप भी देवों के देव महादेव की कृपा के पात्र बन सकते हैं। आपको बताते चलें कि ज्योतिषशास्त्र में महाशिवरात्रि के दिन सभी अलग-अलग राशियों को शिव के इन 12 स्वरूपों में से एक की पूजा-अर्चना करने का विधान बताया गया है। वहीं यदि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं तो आपकी राशि के हिसाब स जिस ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी है उनका ध्यान करके आसपास के शिव मंदिर में शिव पूजा करके उनकी कृपा पा सकते हैं। तो आइए चलते हैं रामेश्वरम की यात्रा पर, तो समुद्र की लहरों के शोर और खूबसूरत रास्तों से गुजरने के लिए हो जाएं तैयार...

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रामेश्वरम मंदिर दक्षिण भारत में तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। इस मंदिर को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना गया है। यह मंदिर भारत ही नहीं बल्कि, पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। रामेश्वरम मंदिर को हिंदुओं के पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। यह मंदिर बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के चारों ओर से घिरा हुआ है। रामेश्वरम मंदिर जाने के लिए आपको समुद्र के बीचोंबीच बने कंक्रीट के 145 खंभों पर टिके सौ साल पुराने पुल से गुजरना होता है। यह एक रेलवे ट्रैक रोड है, जिसे ट्रेन के माध्यम पार किया जाता है। रामेश्वरम मंदिर ज्योतिर्लिंग होने के साथ-साथ यह खूबसूरत द्रविड़ शैली और अपनी अनोखी शिल्प कला के लिए भी दुनिया भर में जाना जाता है।

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प्रचलित है यह पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान राम जब 14 वर्ष का वनवास पूरा करके और लंका पति रावण का वध करके मां सीता के साथ आए, तो ऋषि-मुनियों ने उनसे कहा कि उन पर ब्राह्मण हत्या का पाप लगा है। इसलिए इस पाप से मुक्त होने के लिए रामेश्वरम में स्नान करने के साथ शिवलिंग की स्थापना पर विचार किया गया। ऐसे में उन्होंने भगवान हनुमान को कैलाश से शिवलिंग लाने के लिए भेजा। लेकिन हनुमान जी काफी देर तक वापस नहीं लौटे। ऐसे में माता सीता ने रेत से समुद्र के किनारे शिवलिंग की स्थापना की। स्थापना करने के बाद हनुमान जी भी आ गए। ऐसे में कैलाश से लाए गए शिवलिंग को भी वहीं पर स्थापित कर दिया गया। अब माता सीता द्वारा बनाए गए शिवलिंग को 'रामलिंगÓ और हनुमान जी द्वारा लाए गए शिवलिंग को 'विश्वलिंग' कहा गया। इसके बाद भगवान राम ने रामेश्वरम के पास स्नान करके शिवलिंग की विधिवत पूजा की। तब जाकर उन्हें ब्रह्म हत्या से निजात मिल सकी। आज भी रामेश्वरम मंदिर में वही दोनों शिवलिंग विराजमान है।

 

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रामेश्वर मंदिर के बारे में रोचक फैक्ट
- आपको बता दें कि रामेवरम मंदिर करीब 1000 फुट लंबा और करीब 650 फुट चौड़ा है।
- इस मंदिर में 40 फुट ऊंचे दो पत्थर बड़े सलीके से बराबरी के साथ लगाए गए हैं।
- रामेश्वरम मंदिर का गलियारा भी विश्व प्रसिद्ध है। उत्तर से दक्षिण में यह गलियारा 197 मीटर और पूर्व से पश्चिम में 133 मीटर लंबा है।
- रामेश्वरम मंदिर को बनाने के लिए पत्थरों को नाव के माध्यम से श्रीलंका से यहां लाया गया था।
- मंदिर में ऐसा एक पत्थर दर्शन के लिए रखा गया है। जिसे आप हाथ से भी पानी में डुबोने की कोशिश करते हैं, लेकिन वह डूबता नहीं है।

 

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मंदिर में दर्शन का समय
तमिलनाडु राज्य में स्थित रामेश्वरम मंदिर सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर खुलता है और दोपहर 1 बजे बंद हो जाता है। इसके बाद पुन: दोपहर 3 बजे खुलता है और रात 9 बजे तक बंद हो जाता है।



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