27 नक्षत्रों के नक्षत्र मंडल में शतभिषा नक्षत्र को 24वां नक्षत्र माना गया है। 'शतभिषा' का शाब्दिक अर्थ है 'सौ भीष्' अर्थात 'सौ चिकित्सक' अथवा 'सौ चिकित्सा'। 'श्त्तारक' इस नक्षत्र का एक वैकल्पिक नाम है जिसका शाब्दिक अर्थ है 'सौ सितारे'।
कुछ ज्योतिषियों ने इसकी दृष्टि मानी है और कुछ के मान से इसका अस्तित्व नगण्य है तो दृष्टि कैसी? यदि राहु मेष लग्न में उच्च का हो तो इसके परिणाम भी शुभ मिलते हैं। इस नक्षत्र का स्वामी राहु है, इसकी दशा में 18 वर्ष हैं व कुंभ राशि के अंतर्गत आता है। राहु तो शनिदेव का अनुचर है। तभिषा नक्षत्र में जन्म होने पर जन्म राशि कुंभ तथा राशि का स्वामी शनि, वर्ण शूद्र वश्य नर, योनि अश्व, महावैर योनि महिष, गण राक्षस तथा नाड़ी आदि हैं। ऐसे जातक पर राहु और शनि का प्रभाव रहता है।
4 राशियों के लिए शुभ है शनि का शतभिषा में भ्रमण:-
मेष राशि : आपकी राशि यदि मेष है तो यह गोचर आपके कार्यक्षेत्र में उन्नति दिलाएगा। व्यापरी हैं तो नए कार्य प्रारंभ होंगे। नौकरीपेशा हैं तो मान सम्मान में बढ़ोतरी होगी। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
मिथुन राशि : आपकी राशि के लिए शनि के शतभिषा में गोचर आपको ढैया से राहत देगा और यह आर्थिक लाभ भी देगा। इसी के साथ यह लंबी यात्रा के योग भी बना रहा है। आपको भाग्य का भरपूर साथ मिलेगा।
सिंह राशि : आपके लिए शनि का गोचर नौकरी में कामयाबी दिलाएगा। स्थानांतरण के साथ ही पदोन्नति के योग भी बना रहा है। व्यापारी हैं तो मुनाफा कमाने में कामयाब रहेंगे। घर परिवार में सुख शांति बनी रहेगी।
धनु राशि : आपके लिए भी शनि का शतभिषा में जाना शुभ फलदायी साबित होगा। नौकरी में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। आय में बढ़ोतरी होगी और पदोन्नति के योग बनेंगे। कारोबरी हैं तो अच्छा आर्थिक लाभ हासिल करने में सफल होंगे।
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